मंदिर मंदिर मूरत बेबस
हर गुरुद्वारा मस्जिद भी चुप हैं
मंदिर मंदिर मूरत बेबस
हर गुरुद्वारा मस्जिद भी चुप हैं
ये वो हैं जहा से रोज़ तेरा आना जाना हैं
मैं बस एक ग़ज़ल के इंतज़ार में
और शायद यही मेरा फ़साना हैं
मैं हुनर तो नहीं बस एक अहसास हु तेरा
तुझे अपने दिल में जगह दूँ
वही चाँद वही आसमा और वही मोहब्बत
जो न कह सको तुम अपनी बात किसी से तो
हे उदयपुर मुझसे बस मेरी आवाज़ उधार लो
डोलते फिरते हैं तारे उस चाँद के आस पास
पर जल रहा हैं सूरज अकेला
बताइए कौन जाए उसके पास
आग बहुत हैं इस दिल की ज़मीं पे
मेरे प्यार की बारात
ढूंढ़ लो तुम भी एक चाँद
अरे अभी तो यही था कहाँ गया
लगता हैं उदयपुर हैं वो आपके पास