Saturday, February 20, 2010

YAKIN

meri baat ka usko yakin nahi ,
phir kayun woh sab se meri baat karti hai,
milti hai aajkal woh sab se bus mujh se kayun nahi
woh aaj kal milti hai..............
Kahti sab se mein uske layak nahi tha
phir kaun is nalayak ka woh jikra sab se karti hai
meri majburi bus itni ki mein uska nam likh nahi sakta
is kagaz ke pane par ,
janta hu ab pyar karti nahi par kisi se to woh bewafa ab bhi payr karti hai..............

Thursday, April 9, 2009

10th april opening poem

मंदिर मंदिर मूरत बेबस
हर गुरुद्वारा मस्जिद भी चुप हैं
मंदिर मंदिर मूरत बेबस
हर गुरुद्वारा मस्जिद भी चुप हैं

ये वो हैं जहा से रोज़ तेरा आना जाना हैं
मैं बस एक ग़ज़ल के इंतज़ार में
और शायद यही मेरा फ़साना हैं
मैं हुनर तो नहीं बस एक अहसास हु तेरा
तुझे अपने दिल में जगह दूँ
वही चाँद वही आसमा और वही मोहब्बत
जो न कह सको तुम अपनी बात किसी से तो
हे उदयपुर मुझसे बस मेरी आवाज़ उधार लो
डोलते फिरते हैं तारे उस चाँद के आस पास
पर जल रहा हैं सूरज अकेला
बताइए कौन जाए उसके पास
आग बहुत हैं इस दिल की ज़मीं पे
मेरे प्यार की बारात
ढूंढ़ लो तुम भी एक चाँद
अरे अभी तो यही था कहाँ गया
लगता हैं उदयपुर हैं वो आपके पास

Sunday, December 14, 2008

12TH DECEMBER OPENING POEM

कितनी तकलीफ से उसने मुझे भुलाया होगा
मेरी यादो ने तब उसे भी रुलाया होगा
बात बेबात जब आँख उसकी छलकी होगी
तब चेहरा उसने अपना बाजुओ में छुपाया होगा
सोचा होगा दिन में कई बार मुझको
पर जान कर मुझको बताया होगा
कही जो शहर भर में जिक्र मेरा सुना होगा
अपनी मम्मी को उसने ज़रुर बताया होगा
रात को शायद नींद न आई होगी तुझे
तुने फिर तकिये को अपने सीने से लगाया होगा
मेरी यादो से होकर निढाल मेर यादों से
मेरी तस्वीर पे अपना सर जरुर टिकाया होगा
पूछा होगा जब किसी ने तेरे हालत का सबब
तब बातो बातो में तुने सबसे छूपाया होगा

7TH DECEMBER - SUNDAYYYYYYYYYYYYYYY

FUNDAYYYYYYYYYYYYYYY

Thursday, November 27, 2008

30th november - sundayyyyyyyyyyyy

kids masti
no poem

Sunday, November 23, 2008

23rd november - sundayyyyyy

kids dhamaalllllll

21st november opening poem

कहाँ आके रुके थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
जो मिला उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा
वो तेरे नसीब की बारिश किसी और छत पे बरस गयी
ये दील बेकरार हैं उसे भूल जा
मैं तो गुम था तेरे ही ध्यान में
तेरी आस तेरे गुमान में
सजा भी लगी ये चलती हवा तेरे बिन
मेरी चिंता न कर मुझे भूल जा
कहीं चाक जान कर रफू नहीं
दील के दरद को जो सिल दे
तेरे सिवा मुझे कुछ कबूल नहीं

जो हुआ उसे भूल जा