कितनी तकलीफ से उसने मुझे भुलाया होगा
मेरी यादो ने तब उसे भी रुलाया होगा
बात बेबात जब आँख उसकी छलकी होगी
तब चेहरा उसने अपना बाजुओ में छुपाया होगा
सोचा होगा दिन में कई बार मुझको
पर जान कर मुझको बताया होगा
कही जो शहर भर में जिक्र मेरा सुना होगा
अपनी मम्मी को उसने ज़रुर बताया होगा
रात को शायद नींद न आई होगी तुझे
तुने फिर तकिये को अपने सीने से लगाया होगा
मेरी यादो से होकर निढाल मेर यादों से
मेरी तस्वीर पे अपना सर जरुर टिकाया होगा
पूछा होगा जब किसी ने तेरे हालत का सबब
तब बातो बातो में तुने सबसे छूपाया होगा
1 comment:
i like your poem.keep it up
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