Sunday, December 14, 2008

12TH DECEMBER OPENING POEM

कितनी तकलीफ से उसने मुझे भुलाया होगा
मेरी यादो ने तब उसे भी रुलाया होगा
बात बेबात जब आँख उसकी छलकी होगी
तब चेहरा उसने अपना बाजुओ में छुपाया होगा
सोचा होगा दिन में कई बार मुझको
पर जान कर मुझको बताया होगा
कही जो शहर भर में जिक्र मेरा सुना होगा
अपनी मम्मी को उसने ज़रुर बताया होगा
रात को शायद नींद न आई होगी तुझे
तुने फिर तकिये को अपने सीने से लगाया होगा
मेरी यादो से होकर निढाल मेर यादों से
मेरी तस्वीर पे अपना सर जरुर टिकाया होगा
पूछा होगा जब किसी ने तेरे हालत का सबब
तब बातो बातो में तुने सबसे छूपाया होगा

7TH DECEMBER - SUNDAYYYYYYYYYYYYYYY

FUNDAYYYYYYYYYYYYYYY