kids masti
no poem
RJ Ankit of big chai on Big FM 92.7 has won the hearts of listeners & callers instantly.Big Chai by him need no introduction,its ultimate Super Duper Hit!..His style,His Voice,His accent&his relation wd the listeners makes him the best RJ in Udaipur & no doubt among top 5 in India and wd mentioning himself in limca book of records2009 he has proved it -----------
Thursday, November 27, 2008
Sunday, November 23, 2008
21st november opening poem
कहाँ आके रुके थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
जो मिला उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा
वो तेरे नसीब की बारिश किसी और छत पे बरस गयी
ये दील बेकरार हैं उसे भूल जा
मैं तो गुम था तेरे ही ध्यान में
तेरी आस तेरे गुमान में
सजा भी लगी ये चलती हवा तेरे बिन
मेरी चिंता न कर मुझे भूल जा
कहीं चाक जान कर रफू नहीं
दील के दरद को जो सिल दे
तेरे सिवा मुझे कुछ कबूल नहीं
जो हुआ उसे भूल जा
जो मिला उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा
वो तेरे नसीब की बारिश किसी और छत पे बरस गयी
ये दील बेकरार हैं उसे भूल जा
मैं तो गुम था तेरे ही ध्यान में
तेरी आस तेरे गुमान में
सजा भी लगी ये चलती हवा तेरे बिन
मेरी चिंता न कर मुझे भूल जा
कहीं चाक जान कर रफू नहीं
दील के दरद को जो सिल दे
तेरे सिवा मुझे कुछ कबूल नहीं
जो हुआ उसे भूल जा
20th nov opening poem
खुश रहे ये उदास रहे बस वो मेरे आस पास रहे
वो नहीं तो उसकी आस रहे
जैसे झरने को पानी कि प्यास रहे
जब भी कसने लगा उतार दिया
रिश्तो में कुछ फासला ये भी साथ रहे
बेहोश हो गए कुछ सित्रई भी
(वो हैं ही इतनी खुबसूरत _
जो साड़ी उम्र उसके साथ रहे
वो नहीं तो उसकी आस रहे
जैसे झरने को पानी कि प्यास रहे
जब भी कसने लगा उतार दिया
रिश्तो में कुछ फासला ये भी साथ रहे
बेहोश हो गए कुछ सित्रई भी
(वो हैं ही इतनी खुबसूरत _
जो साड़ी उम्र उसके साथ रहे
18th november opening poem
तू हमेशा मेरी पलकों के जरोखो में रहती हैं
पर मेरी बाते क्यों तेरे छोटे से दील में दबी रहती हैं
.........
पर मेरी बाते क्यों तेरे छोटे से दील में दबी रहती हैं
.........
17th november opening poem
देखा नही उसे करीब से
मीले भी भागा दौडी में
और वो भी नसीब से
काजल अपनी आंखों में लगाती हैं
न जाने रोज़ कीतनो को दीवाना बनाती हैं
.................
मीले भी भागा दौडी में
और वो भी नसीब से
काजल अपनी आंखों में लगाती हैं
न जाने रोज़ कीतनो को दीवाना बनाती हैं
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