Sunday, November 23, 2008

17th november opening poem

देखा नही उसे करीब से
मीले भी भागा दौडी में
और वो भी नसीब से
काजल अपनी आंखों में लगाती हैं
न जाने रोज़ कीतनो को दीवाना बनाती हैं
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