मैंने हर कांटा तेरी राह का अपनी पलकों से चुना
मैं कहता हूँ मैं हूँ तेरा दीवाना पर कहाँ किसी ने सुना
जाने क्या सोचके हर ज़ुल्म सह रखा हैं
क्या मैं पथ्थर हूँ जो तुने मुझे कदमो मे सजा रखा हैं
मैंने रखा हैं दिल मे अपनी मोहब्बत का भरम
मैंने रखा हैं अपने दिल मे अपनी मोहब्बत का भरम
वरना ए हरजाई इस प्यार मे क्या रखा हैं
तेरी बेवफाई कि बात मैं अपने होठो पर कभी नहीं लूँगा उम्म्हुह
तेरी बेवफाई कि बात मैं अपने होठो पर कभी नहीं लूँगा
तु मुकद्दर मे नहीं मेरे एक दिन फुर्सत मिली
तो ज़रूर इस मुकद्दर को समझाऊंगा
हाल-इ-दिल सुनाये तुझे शायद दिल को ये फुर्सत ना मिले
तभी तो एक दिन तेरी दुनिया से बहुत दूर चला जाऊंगा
ये मुक़द्दर का लेखा हैं कोई तकरार नहीं
ये मुक़द्दर का लेखा हैं कोई तकरार नहीं
मेरी किस्मत मे कहीं कोई दीवार तो नहीं
अब मैं तुझसे भी कूच पुच पुच के पुचने लगा हूँ
मगर मुझे लगता हैं मेरे दिल के अंदर छुपी हो जो कोई बात ऐसी कोई बात नहीं
ये गुनाह सबसे बड़ा हैं पर मैं तेरी मोहब्बत का गुनेहगार नहीं
ये गुनाह सबसे बड़ा हैं पर मैं तेरी मोहब्बत का गुनेहगार नहीं
मैंने हर कांता तेरी राह का अपनी पलकों से चुना
मैं कहता हूँ मैं हूँ तेरा दीवाना ना जाने तुने क्यों ना सुना
कहाँ तो था ये चिराग हर घर के लिए और कहाँ इस चिराग को एक घर भी ना मिला
यहाँ घरो के साये मे भी धुप लगाती हैं
आओ शोना चलते हैं यहाँ से किसी ऐसी जगह जहा शाम ढलती हैं
ना हो कमीज़ तो तेरे अहसास को खुद से धक् लेंगे
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस शहर मे इस सफ़र के लिए
खुदा ना सही आदमी ही सही
तेरी उन प्यारी नज़रो को हम कुछ ना कुछ इनाम देंगे
और कुछ नहीं मिला तो तो सच कहू
अपने हाथ से अपना दिल निकलकर तेरे कदमो मे दाल देंगे
मैंने हर काँटा तेरी .............
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