हे भगवान तु भी ये कैसा रिश्ता बनता हैं
हे भगवान तु भी ये कैसा रिश्ता बनता हैं
एक तरफ़ तो दिल जिसके लिए बैचैन रहता हैं
दूसरी तरफ़ से ना उसका कोई जवाब आता हैं
(होता हैं ना ऐसा मन ही मन हम किसी को बहुत प्यार करने लगते हैं )
एक तरफ़ तो दिल जिसके लिए बैचैन रहता हैं
दूसरी तरफ़ से ना उसका कोई जवाब आता हैं
जलती थी शमा उनके मन मे मेरे लिए
जलती थी शमा उनके मन मे मेरे लिए
कुछ अहसास ही तेरे दिल मे भी तो जगाता हैं
(शमा जलती हैं तो बड़ा कमाल होता हैं )
दे दो थोडी जगह अपने दिल मे
कि दे दो थोडी सी जगह मुझे अपने दिल मे
अरे इसमे तेरा क्या जाता हैं
बस एक ही ख्याल मेरे दिल मे बार बार आता हैं
अगर कुछ नही हैं तु मेरे लिए
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
कि एक ही ख्याल मेरे दिल मे बार बार आता हैं कि
अगर कुछ नही हैं तु मेरे लिए
तो फिर क्यों हर शख्स मे मुझे तेरा चेहरा नज़र आता हैं
तो फिर क्यों बात किसी कि भी हो तु हर बात मे चला आता हैं
पन्ने पलटू किताबो के
हर चीज़ मे हर बात मे हर शब्द मे तु नज़र आता हैं
चाहे जाऊ घुमाने टहलने हर शाम
हर बीती शाम मे उस पाल पर खड़े होकर
ठंडी हवाओ के झोंको मे तेरा अहसास सा दिख जाता हैं
RJ Ankit of big chai on Big FM 92.7 has won the hearts of listeners & callers instantly.Big Chai by him need no introduction,its ultimate Super Duper Hit!..His style,His Voice,His accent&his relation wd the listeners makes him the best RJ in Udaipur & no doubt among top 5 in India and wd mentioning himself in limca book of records2009 he has proved it -----------
Thursday, May 15, 2008
15th may opening poem
ऐ खुदा मेरे आज तक तुने मुझे बहुत कुछ दिया
आज एक रहमत मुझ पर और कर दे
झोली मेरे यार की तु प्यार से भर दे
उम्र भर कुछ और ना मंगुन्गा
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
कि उम्र भर कुछ और ना मंगुन्गा
बस सारी खुशिया मेरी तु मेरे यार के नाम कर दे
जब तक हैं ज़िंदगी वो मेरे साथ रहे
जब तक हैं ज़िंदगी वो मेरे साथ रहे
मरते वक्त बस मेरी साँसों मे उसका नाम रहे
सात जन्मों का साथ तो सब ही माँगते हैं
(लगता हैं ना कि कोई हमारे साथ रहे सात जन्मों तक )
सात जन्मों का साथ तो सब ही माँगते हैं
हैं कायनात जब तक बस टैब तक तु उसे मेरे साथ कर दे
कसक सी होती हैं दिल मे जब याद आती हैं वो
कसक सी होती हैं दिल मे जब याद आती हैं वो
शाम क पहलू मे नदी किनारे कभी कभी मिलने आती हैं वो
हर मुलाकात मेरी तु उसके साथ लिख दे
हर मुलाकात मेरी तु उसके साथ लिख दे
मुझे कैसे भी तु उसकी तकदीर लिख दे
पन्ने कोरे ना मिले खुदा तुझे तो
(खुदा के पास कहाँ पन्ने मिलते हैं )
कि पन्ने कोरे ना मिले खुदा तुझे तो
मेरी जिंदगी के पन्ने पर उसकी ज़िंदगी की हर बात लिख दे
आज एक रहमत मुझ पर और कर दे
झोली मेरे यार की तु प्यार से भर दे
उम्र भर कुछ और ना मंगुन्गा
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
कि उम्र भर कुछ और ना मंगुन्गा
बस सारी खुशिया मेरी तु मेरे यार के नाम कर दे
जब तक हैं ज़िंदगी वो मेरे साथ रहे
जब तक हैं ज़िंदगी वो मेरे साथ रहे
मरते वक्त बस मेरी साँसों मे उसका नाम रहे
सात जन्मों का साथ तो सब ही माँगते हैं
(लगता हैं ना कि कोई हमारे साथ रहे सात जन्मों तक )
सात जन्मों का साथ तो सब ही माँगते हैं
हैं कायनात जब तक बस टैब तक तु उसे मेरे साथ कर दे
कसक सी होती हैं दिल मे जब याद आती हैं वो
कसक सी होती हैं दिल मे जब याद आती हैं वो
शाम क पहलू मे नदी किनारे कभी कभी मिलने आती हैं वो
हर मुलाकात मेरी तु उसके साथ लिख दे
हर मुलाकात मेरी तु उसके साथ लिख दे
मुझे कैसे भी तु उसकी तकदीर लिख दे
पन्ने कोरे ना मिले खुदा तुझे तो
(खुदा के पास कहाँ पन्ने मिलते हैं )
कि पन्ने कोरे ना मिले खुदा तुझे तो
मेरी जिंदगी के पन्ने पर उसकी ज़िंदगी की हर बात लिख दे
14 th may closing poem
तेरी राष्ट्र सेवा पर जब मुस्कुराने लगे लोग
तुम्हे तुम्हारा भविष्य दिखाकर डराने लगे लोग
तो मत घबराना डटे रहना
उन्हें भी मत कुछ कहना
हर बात को मगर धैर्य से सहना
ग्रेट वाल कि भांति कभी ना ढहना
इनमे से भी कियो ने तेरी ही तरह शुरुआत की थी
तब इन्ही दरिंदों ने उन पर भी आघात की थी
हथियार जब दाल दिए तब भीड़ ने ढेरों हाथ दिए
अब ये भीड़ की भीड़ हैं
इनका अगला लक्ष्य तुम्हारी नीड हैं
ये तो खूनी राहों पे चिराग जलाते रहेंगे
किसी के जगने पर उसे सुलाते रहेंगे
मातृभाषा मात्रभूमि पर त्याग न्यौछावर करो
वरना ये लोग तो नस्लों को खोखला करते रहेंगे
तुम्हे तुम्हारा भविष्य दिखाकर डराने लगे लोग
तो मत घबराना डटे रहना
उन्हें भी मत कुछ कहना
हर बात को मगर धैर्य से सहना
ग्रेट वाल कि भांति कभी ना ढहना
इनमे से भी कियो ने तेरी ही तरह शुरुआत की थी
तब इन्ही दरिंदों ने उन पर भी आघात की थी
हथियार जब दाल दिए तब भीड़ ने ढेरों हाथ दिए
अब ये भीड़ की भीड़ हैं
इनका अगला लक्ष्य तुम्हारी नीड हैं
ये तो खूनी राहों पे चिराग जलाते रहेंगे
किसी के जगने पर उसे सुलाते रहेंगे
मातृभाषा मात्रभूमि पर त्याग न्यौछावर करो
वरना ये लोग तो नस्लों को खोखला करते रहेंगे
14th may opening poem
रह ना पाओगे कभी भुलाकर देखो
यकीं ना मेरी बात पर हो तो हमे आजमा कर देखो
हर जगह महसूस होगी कमी हमारी
अपनी महफ़िल को कितना भी सजाकर देखो
(होता हैं ना ऐसा जब कोई चला जाता हैं तो बहुत याद आता हैं मुलाकाते जब ख़त्म होती हैं तो बड़ा बुरा लगता हैं ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
चलो चलते हैं उस जहाँ मे
जहा रिश्तो का नाम नही पूछा जाता
चलो चलते हैं उस जहाँ मे
जहा रिश्तो का नाम नही पूछा जाता
धडकनों पे कोई बंदिश नही
ख्वाबो पे कोई इल्जाम नही लगाया जाता
जिस्म ना हो साथ तबभी क्या
कि जिस्म ना हो साथ तब भी क्या
साँसों का हिसाब किसी को दिया नही जाता
पर कहाँ होगा ऐसा जहाँ मालूम नही
पर कहाँ होगा ऐसा जहाँ मालूम नही
सितारों पर या चाँद के आस पास मालूम नही
पर सितारों पर घर नही बनाया जाता
(सितारे कितने ही खूबसूरत हो वहा घर नही बनाया जाता )
पर सितारों पर घर नही बनाया जाता
उस चाँद से दिल नही लगाया जाता
इसीलिए सारी कायनात छोड़ हम तुम पर मरते हैं
एक ही बात हम तुझे बहुत प्यार करते हैं
यकीं ना मेरी बात पर हो तो हमे आजमा कर देखो
हर जगह महसूस होगी कमी हमारी
अपनी महफ़िल को कितना भी सजाकर देखो
(होता हैं ना ऐसा जब कोई चला जाता हैं तो बहुत याद आता हैं मुलाकाते जब ख़त्म होती हैं तो बड़ा बुरा लगता हैं ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
चलो चलते हैं उस जहाँ मे
जहा रिश्तो का नाम नही पूछा जाता
चलो चलते हैं उस जहाँ मे
जहा रिश्तो का नाम नही पूछा जाता
धडकनों पे कोई बंदिश नही
ख्वाबो पे कोई इल्जाम नही लगाया जाता
जिस्म ना हो साथ तबभी क्या
कि जिस्म ना हो साथ तब भी क्या
साँसों का हिसाब किसी को दिया नही जाता
पर कहाँ होगा ऐसा जहाँ मालूम नही
पर कहाँ होगा ऐसा जहाँ मालूम नही
सितारों पर या चाँद के आस पास मालूम नही
पर सितारों पर घर नही बनाया जाता
(सितारे कितने ही खूबसूरत हो वहा घर नही बनाया जाता )
पर सितारों पर घर नही बनाया जाता
उस चाँद से दिल नही लगाया जाता
इसीलिए सारी कायनात छोड़ हम तुम पर मरते हैं
एक ही बात हम तुझे बहुत प्यार करते हैं
13 th may closing poem
कसूर ना उनका था ना हमारा
हम दोनों को ही ना आया रिश्तो को निभाना
कसूर ना उनका था ना हमारा
हम दोनों को ही ना आया ये रिश्तो को निभाना
वो चुप्पी का अहसास जताते रहे
हम मोहब्बत को अपने दिल मे छुपाते रहे
प्यार मन ही मन करते रहे
(बड़ा कमल का हैं ये प्यार )
कि प्यार मन ही मन करते रहे
पर फिर भी ना जाने क्यों उस प्यार को
सारी दुनिया से छुपाते रहे
जब देखते थे किसी सागर को उफनते हुए
(याद हैं ना वो दिन जब ऐसा कुछ देखा था आपने )
कि जब देखते थे किसी सागर को उफनते हुए
टैब एक दूसरे का हाथ थाम लेते थे
जब रोशनी धुंधली होती थी बारिश के बाद
आंसू अपने मन ही मन बाँध लेते थे
मुझे आया ही नही तुझे मानना
प्यार से तेरे पास बैठना
तुझे प्यार से रोकना
ये दुनिया हैं मेरे दोस्त
ये दुनिया हैं मेरे दोस्त
रोज़ किसी का यह आना
और एक दिन किसी को छोड़कर चले जाना
हम दोनों को ही ना आया रिश्तो को निभाना
कसूर ना उनका था ना हमारा
हम दोनों को ही ना आया ये रिश्तो को निभाना
वो चुप्पी का अहसास जताते रहे
हम मोहब्बत को अपने दिल मे छुपाते रहे
प्यार मन ही मन करते रहे
(बड़ा कमल का हैं ये प्यार )
कि प्यार मन ही मन करते रहे
पर फिर भी ना जाने क्यों उस प्यार को
सारी दुनिया से छुपाते रहे
जब देखते थे किसी सागर को उफनते हुए
(याद हैं ना वो दिन जब ऐसा कुछ देखा था आपने )
कि जब देखते थे किसी सागर को उफनते हुए
टैब एक दूसरे का हाथ थाम लेते थे
जब रोशनी धुंधली होती थी बारिश के बाद
आंसू अपने मन ही मन बाँध लेते थे
मुझे आया ही नही तुझे मानना
प्यार से तेरे पास बैठना
तुझे प्यार से रोकना
ये दुनिया हैं मेरे दोस्त
ये दुनिया हैं मेरे दोस्त
रोज़ किसी का यह आना
और एक दिन किसी को छोड़कर चले जाना
13th may opening poem
सब आने वाले बहला कर चले गए
आंखों को आँसुओ की आदत दिला कर चले गए
कि सब आने वाले बहला कर चले गए
आंखों को आँसुओ की आदत दिला कर चले गए
मलबे के नीचे आकर मालूम हुआ
सब कैसे दीवार गिरा कर चले गए
अब अगर लौटेंगे तो सिर्फ़ रख बतोरेंगे
जंगल मे जो आग लगाकर चले गए
मैं था दिन था और एक लंबा रास्ता था
(किसी के दूर चले जाने के बाद ये सब बातें बहुत याद आती हैं )
कि मैं था दिन था और एक लंबा रास्ता था
पर ना जाने क्यों सब मुझे खाई का पता बताकर चले गए
चट्टानों पे आकर ठहरे दो रास्ते
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
चट्टानों पे आकर ठहरे दो रास्ते
पर ये दिल हमारा वो चट्टान बनाकर चले गए
कुछ किताब के पन्ने ऐसे भी नज़र आये
(कभी कभी मैं भी पढता था )
कि कुछ किताब के पन्ने ऐसे भी नज़र आये
भरे भरे थे पर खली से नज़र आये
आये मोहब्बत हम तेरे इंतज़ार मे हम आज भी वही खड़े हैं
जिस खली वक्त को तुम मेरा पता बता कर चले गए
आंखों को आँसुओ की आदत दिला कर चले गए
कि सब आने वाले बहला कर चले गए
आंखों को आँसुओ की आदत दिला कर चले गए
मलबे के नीचे आकर मालूम हुआ
सब कैसे दीवार गिरा कर चले गए
अब अगर लौटेंगे तो सिर्फ़ रख बतोरेंगे
जंगल मे जो आग लगाकर चले गए
मैं था दिन था और एक लंबा रास्ता था
(किसी के दूर चले जाने के बाद ये सब बातें बहुत याद आती हैं )
कि मैं था दिन था और एक लंबा रास्ता था
पर ना जाने क्यों सब मुझे खाई का पता बताकर चले गए
चट्टानों पे आकर ठहरे दो रास्ते
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
चट्टानों पे आकर ठहरे दो रास्ते
पर ये दिल हमारा वो चट्टान बनाकर चले गए
कुछ किताब के पन्ने ऐसे भी नज़र आये
(कभी कभी मैं भी पढता था )
कि कुछ किताब के पन्ने ऐसे भी नज़र आये
भरे भरे थे पर खली से नज़र आये
आये मोहब्बत हम तेरे इंतज़ार मे हम आज भी वही खड़े हैं
जिस खली वक्त को तुम मेरा पता बता कर चले गए
12 th may closing poem
एक कदम हमने ये पीछे गर हटा लिया
वो समझते हैं कि हमने अपना सर झुका लिया
तेरी बेवफाई का अँधेरा जब सताने लगा हमे
हैं जी
कि तेरी बेवफाई का अँधेरा जब सताने लगा हमे
याद का एक दिया हमने अपने दिल मे जला लिया
अपने तो ज़िंदगी भर अजनबी रहे
(ऐसा होता हैं ना कि पुरी ज़िंदगी भी जिनके साथ रहे वो अपने नही होते )
कि अपने तो ज़िंदगी भर अजनबी रहे
पर उस अजनबी ने एक पल मे हमे अपना बना लिया
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
मन्दिर तो मैं जाता नही
पर तु भगवान को बड़ा मानती हैं
कि मन्दिर तो मैं जाता नही
पर तु भगवान को बड़ा मानती हैं
तेरे कहने पर मुंड कर आंखें हमने भी
एक पत्थर के आगे सर झुका दिया
मेरे बारे मे वो सबसे पूछता रहा
मगर झुक कर ना कभी अपने दिल से सवाल किया
हंसकर उसने हमसे दिल्लगी की
(बहुत ख़राब होती हैं दिल्लगी )
कि हंसकर उसने हमसे दिल्लगी की
हमने ना सोचा ना समझा
बस बिना सोचे ये दिल लगा लिया
आज मजबूरियों कि वजह से
हमने अगर एक कदम पीछे हटा लिया
वो सोचता हैं कि हमने कहीं अपना घर बसा लिया
वो समझते हैं कि हमने अपना सर झुका लिया
तेरी बेवफाई का अँधेरा जब सताने लगा हमे
हैं जी
कि तेरी बेवफाई का अँधेरा जब सताने लगा हमे
याद का एक दिया हमने अपने दिल मे जला लिया
अपने तो ज़िंदगी भर अजनबी रहे
(ऐसा होता हैं ना कि पुरी ज़िंदगी भी जिनके साथ रहे वो अपने नही होते )
कि अपने तो ज़िंदगी भर अजनबी रहे
पर उस अजनबी ने एक पल मे हमे अपना बना लिया
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
मन्दिर तो मैं जाता नही
पर तु भगवान को बड़ा मानती हैं
कि मन्दिर तो मैं जाता नही
पर तु भगवान को बड़ा मानती हैं
तेरे कहने पर मुंड कर आंखें हमने भी
एक पत्थर के आगे सर झुका दिया
मेरे बारे मे वो सबसे पूछता रहा
मगर झुक कर ना कभी अपने दिल से सवाल किया
हंसकर उसने हमसे दिल्लगी की
(बहुत ख़राब होती हैं दिल्लगी )
कि हंसकर उसने हमसे दिल्लगी की
हमने ना सोचा ना समझा
बस बिना सोचे ये दिल लगा लिया
आज मजबूरियों कि वजह से
हमने अगर एक कदम पीछे हटा लिया
वो सोचता हैं कि हमने कहीं अपना घर बसा लिया
Tuesday, May 13, 2008
10th may closing poem
मेरी ये चाहत थी कि तुम हमारी ज़िंदगी मे आओ
लेकिन ये हो ना सका
और अब हम अपनी तकदीर पे रोते हैं
नींद तो आती नही रातो को लेकिन
ये नींद तो हमे आती नही रातो को लेकिन
फिर भी शायद कहीं से तु मेरे ख्वाबो मे चला आये
इसी उम्मीद से तकिये मे मुह डाल के हम हर रात सोते हैं
याद ना करोगे तो भुला भी ना सकोगे
(बहुत मुश्किल हैं अंकित को भुलाना )
कि याद ना करोगे तो भुला भी ना सकोगे
मेरा ख्याल जेहन से मिटा भी ना सकोगे
एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे
कि एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे
मेरी कसम ज़िंदगी भर मुस्कुरा ना सकोगे
वो dhundhate हैं मुझे डगर डगर
(कि मैं जहा जाता हूँ बस ऐसा लगता हैं कि अरे इस मोड़ पे कहीं तुम तो नही उस मोड़ पे कहीं तुम तो नही )
कि वो dhundhate हैं मुझे डगर डगर
पर कहाँ आती हो तुम नज़र
मेरी नज़र हर पल बस तुझे धुन्धाती जाती हैं
लेकिन ये हो ना सका
और अब हम अपनी तकदीर पे रोते हैं
नींद तो आती नही रातो को लेकिन
ये नींद तो हमे आती नही रातो को लेकिन
फिर भी शायद कहीं से तु मेरे ख्वाबो मे चला आये
इसी उम्मीद से तकिये मे मुह डाल के हम हर रात सोते हैं
याद ना करोगे तो भुला भी ना सकोगे
(बहुत मुश्किल हैं अंकित को भुलाना )
कि याद ना करोगे तो भुला भी ना सकोगे
मेरा ख्याल जेहन से मिटा भी ना सकोगे
एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे
कि एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे
मेरी कसम ज़िंदगी भर मुस्कुरा ना सकोगे
वो dhundhate हैं मुझे डगर डगर
(कि मैं जहा जाता हूँ बस ऐसा लगता हैं कि अरे इस मोड़ पे कहीं तुम तो नही उस मोड़ पे कहीं तुम तो नही )
कि वो dhundhate हैं मुझे डगर डगर
पर कहाँ आती हो तुम नज़र
मेरी नज़र हर पल बस तुझे धुन्धाती जाती हैं
10th may opening poem
कभी ज़माने की बातो का हम पर असर हो जाए
कभी ज़माने की बातो का हम पर असर हो जाए
तो इश्क का रोग लगे और ज़िंदगी बसर हो जाए
हाँ कुछ लोगो ने इश्क को पागलपने का नाम दिया
हाँ कुछ लोगो ने इश्क को पागलपने का नाम दिया
खुदा करे उनका भी होश कही जाए
ज़िंदगी काटने के हमने बहाने ढूंढे
(हर बात पे बहाने ढूंढेते हैं हम )
कि ज़िंदगी काटने के हमने बहाने ढूंढे
कंगाल बस्ती मे हमने खजाने ढूंढे
थक कर मैं चूर हुआ फिर भी
(किसी को याद करते करते थक जाते हैं हम )
थक कर मैं चूर हुआ फिर भी
रेत मे तेरे लिए घर बनने के हज़ार फ़साने ढूंढे
प्यास जिसकी थी वो कभी पास ना आया
(हैं जी )
कि प्यास जिसकी थी वो कभी पास ना आया
ज़िंदगी को मेरा सलाम रास ना आया
कम से कम मुझको ज़िंदगी की कदर हो जाए
एक दिन ये दुनिया मुझे धुधे और
मेरी ज़िंदगी तेरे साथ बसर हो जाए
रोज़ सुनता हूँ इतनी आवाजे
रोज़ सुनता हूँ मैं इतनी आवाजे
काश एक दिन एक सुबह
किसी आवाज़ को मेरी आवाज़ से प्यार हो जाए
कभी ज़माने की बातो का हम पर असर हो जाए
तो इश्क का रोग लगे और ज़िंदगी बसर हो जाए
हाँ कुछ लोगो ने इश्क को पागलपने का नाम दिया
हाँ कुछ लोगो ने इश्क को पागलपने का नाम दिया
खुदा करे उनका भी होश कही जाए
ज़िंदगी काटने के हमने बहाने ढूंढे
(हर बात पे बहाने ढूंढेते हैं हम )
कि ज़िंदगी काटने के हमने बहाने ढूंढे
कंगाल बस्ती मे हमने खजाने ढूंढे
थक कर मैं चूर हुआ फिर भी
(किसी को याद करते करते थक जाते हैं हम )
थक कर मैं चूर हुआ फिर भी
रेत मे तेरे लिए घर बनने के हज़ार फ़साने ढूंढे
प्यास जिसकी थी वो कभी पास ना आया
(हैं जी )
कि प्यास जिसकी थी वो कभी पास ना आया
ज़िंदगी को मेरा सलाम रास ना आया
कम से कम मुझको ज़िंदगी की कदर हो जाए
एक दिन ये दुनिया मुझे धुधे और
मेरी ज़िंदगी तेरे साथ बसर हो जाए
रोज़ सुनता हूँ इतनी आवाजे
रोज़ सुनता हूँ मैं इतनी आवाजे
काश एक दिन एक सुबह
किसी आवाज़ को मेरी आवाज़ से प्यार हो जाए
Friday, May 9, 2008
9th may closing poem
मेरी चाहत से रोशन तेरी हर रात हो
मेरे दिल मे सिर्फ़ तेरे प्यार ही प्यार हो
मेरी चाहत से रोशन तेरी हर बात हो
मेरे दिल मे सिर्फ़ तेरे ही तेरे प्यार हो
तन्हाइयो मे भी तेरी हर बात मेरी धड़कन मे सुने दे
इस कदर तेरे लिए हर पल मेरे ज़ज्बात हो
हवा बनकर तुझे मैं छू जाऊ
आस्मान बनकर तेरा साथ पा जाऊ
(मन करता हैं ना हमेशा उसके साथ रहने का )
तेरी ज़िंदगी मेरे अहसास बनकर तेरे साथ चलती जाए
धुन कोई सी भी बजे हवा जन भी चले बस तेरी याद मेरे साथ चले
मेरी चाहत मे तुझे दीवाना कर दु
मेरी चाहत मे तुझे दीवाना कर दु
बात सही निकले या ग़लत तेरे मुह से
सर झुककर चुपके से मैं बस हामी भर दु
तन्हाइयो मे भी मेरी धड़कन सिर्फ़ तेरा नाम ले
इस कदर मेरी ज़िंदगी तेरे साथ चलती चले चलती चले चलती चले
मेरे दिल मे सिर्फ़ तेरे प्यार ही प्यार हो
मेरी चाहत से रोशन तेरी हर बात हो
मेरे दिल मे सिर्फ़ तेरे ही तेरे प्यार हो
तन्हाइयो मे भी तेरी हर बात मेरी धड़कन मे सुने दे
इस कदर तेरे लिए हर पल मेरे ज़ज्बात हो
हवा बनकर तुझे मैं छू जाऊ
आस्मान बनकर तेरा साथ पा जाऊ
(मन करता हैं ना हमेशा उसके साथ रहने का )
तेरी ज़िंदगी मेरे अहसास बनकर तेरे साथ चलती जाए
धुन कोई सी भी बजे हवा जन भी चले बस तेरी याद मेरे साथ चले
मेरी चाहत मे तुझे दीवाना कर दु
मेरी चाहत मे तुझे दीवाना कर दु
बात सही निकले या ग़लत तेरे मुह से
सर झुककर चुपके से मैं बस हामी भर दु
तन्हाइयो मे भी मेरी धड़कन सिर्फ़ तेरा नाम ले
इस कदर मेरी ज़िंदगी तेरे साथ चलती चले चलती चले चलती चले
Thursday, May 8, 2008
9th may opening poem
काश वो फूल सी मुस्कराहट मेरे लिए होती
वो मासूम शरारत मेरे लिए होती
मैं उस जुल्फ कि छाँव मे सो जाता अगर
वो काली रात मेरे लिए होती
(कई बार मन मे ख्याल आता होगा कि काश ऐसा होता काश वैसा होता )
वो रात भर घूमती अपना कंगन
वो रात भर घूमती अपना कंगन
पर काश वो बैचैनिया वो बेताबिया
मेरे लिए होती
वो एक तारा था खुले आसमा मे
कि वो एक तारा था खुले आसमा मे
पर काश वो रोशनी मेरे लिए होती
मेरे वजूद मे भी ज़िंदगी का सुराग मिलता
मेरे वजूद मे भी ज़िंदगी का सुराग मिलता
आगर वो प्यार कि नज़र मेरे लिए होती
रिश्ता कुछ तो बन जाता अपना
मोहब्बत ना सही नफरत ही होती
पर मेरे लिए होती
वो मासूम शरारत मेरे लिए होती
मैं उस जुल्फ कि छाँव मे सो जाता अगर
वो काली रात मेरे लिए होती
(कई बार मन मे ख्याल आता होगा कि काश ऐसा होता काश वैसा होता )
वो रात भर घूमती अपना कंगन
वो रात भर घूमती अपना कंगन
पर काश वो बैचैनिया वो बेताबिया
मेरे लिए होती
वो एक तारा था खुले आसमा मे
कि वो एक तारा था खुले आसमा मे
पर काश वो रोशनी मेरे लिए होती
मेरे वजूद मे भी ज़िंदगी का सुराग मिलता
मेरे वजूद मे भी ज़िंदगी का सुराग मिलता
आगर वो प्यार कि नज़र मेरे लिए होती
रिश्ता कुछ तो बन जाता अपना
मोहब्बत ना सही नफरत ही होती
पर मेरे लिए होती
8th may closing poem
मेरी साँसों मे बसी तेरी खुशबु तो आज भी हैं
दिल कि ये ख्वाहिश कि तुझे रोज़ देखु ये आज भी हैं
फासले कभी इतने भी हो जायेंगे ये सोचा ना था
(मोहब्बत मे कभी कभी बहुत फासले हो जाते हैं दोस्तो )
कि फासले कभी इतने भी हो जायेंगे ये सोचा ना था
तेरे अहसास को तेरी तस्वीर को मैं कब तक देखु
कैसे उस कोहरे से मैं तेरा अक्स तलाशु
कि कैसे उस कोहरे से मैं तेरा अक्स तलाशु
उस धुएँ के आर पार भला मैं कैसे देखु
मेरी बातें तुझसे शुरू होकर तुझ पर ही ख़त्म हो जाती हैं
(होता हैं ना उदयपुर )
मेरी बातें तुझसे शुरू होकर तुझ पर ही ख़त्म हो जाती हैं
समझा नही मैं क्यों ये दुनिया मुझे दीवाना बुलाती हैं
अपने घर के दरवाजे तो ना बदल सका
पर हर खिड़की तेरी गली की और खुल जाती हैं
सच मे नहाकर जब तु जुल्फे बाहर आकर सुखाती हैं
हाय जान निकल जाती हैं
अंगडाई तेरा लेना मेरा कत्ल करती हैं
वो ठंडी हवाएं जब आती हैं
तो दीवाना बनाती हैं
दिल कि ये ख्वाहिश कि तुझे रोज़ देखु ये आज भी हैं
फासले कभी इतने भी हो जायेंगे ये सोचा ना था
(मोहब्बत मे कभी कभी बहुत फासले हो जाते हैं दोस्तो )
कि फासले कभी इतने भी हो जायेंगे ये सोचा ना था
तेरे अहसास को तेरी तस्वीर को मैं कब तक देखु
कैसे उस कोहरे से मैं तेरा अक्स तलाशु
कि कैसे उस कोहरे से मैं तेरा अक्स तलाशु
उस धुएँ के आर पार भला मैं कैसे देखु
मेरी बातें तुझसे शुरू होकर तुझ पर ही ख़त्म हो जाती हैं
(होता हैं ना उदयपुर )
मेरी बातें तुझसे शुरू होकर तुझ पर ही ख़त्म हो जाती हैं
समझा नही मैं क्यों ये दुनिया मुझे दीवाना बुलाती हैं
अपने घर के दरवाजे तो ना बदल सका
पर हर खिड़की तेरी गली की और खुल जाती हैं
सच मे नहाकर जब तु जुल्फे बाहर आकर सुखाती हैं
हाय जान निकल जाती हैं
अंगडाई तेरा लेना मेरा कत्ल करती हैं
वो ठंडी हवाएं जब आती हैं
तो दीवाना बनाती हैं
8th may opening poem
चन्द लम्हे बचे हैं तेरे मेरे साथ के
मुमकिन हैं कि बिछड़ जाए बिन मुलाक़ात के
कल आसुओं की ये सौगात होगी
नए लोग होंगे नई बात होगी
कल आसुओं की ये सौगात होगी
नए लोग होंगे नई बात होगी
मैं हर हाल मे मुस्कुराता रहूंगा
(वादा जो किया हैं ना hmmmm )
मैं हर हाल मे मुस्कुराता रहूंगा
अगर तुम्हारी मोहब्बत हर पल मेरे पास होगी
इन आसुओं को महफूज़ रखना अपनी आंखों मे
इन आसुओं को महफूज़ रखना अपनी आंखों मे
एक दिन तुम्हारी आंखों मे भी आंसुओं की बरसात होगी
मुझे तो तुझसे इतनी मोहब्बत ना थी
(हर प्यार करने वाला यही कहता हैं )
मुझे तो तुझसे इतनी मोहब्बत ना थी
इन धडकनों को भी तेरी इतनी आदत ना थी
पर अब
पर अब हर अदा तेरी मेरी आदत सी हो गई हैं
तेरी हर आदत मेरी ज़िंदगी सी हो गई हैं
तेरी हर आदत से अंकित को मोहब्बत हो गई हैं
लम्हों को सजाकर अपने तकिये के पास रखना
(जैसे अभी रखे हैं कुछ लम्हे आपने तकिये के पास आय हाय )
उन लम्हों को सजाकर अपने तकिये के पास रख लेना
और उस तकिये को अपनी बांहों मे भर लेना
लम्हे वो बीते बहुत याद आयेंगे
एक दिन जब हम ये तेरा शहर छोड़ जायेंगे
मुमकिन हैं कि बिछड़ जाए बिन मुलाक़ात के
कल आसुओं की ये सौगात होगी
नए लोग होंगे नई बात होगी
कल आसुओं की ये सौगात होगी
नए लोग होंगे नई बात होगी
मैं हर हाल मे मुस्कुराता रहूंगा
(वादा जो किया हैं ना hmmmm )
मैं हर हाल मे मुस्कुराता रहूंगा
अगर तुम्हारी मोहब्बत हर पल मेरे पास होगी
इन आसुओं को महफूज़ रखना अपनी आंखों मे
इन आसुओं को महफूज़ रखना अपनी आंखों मे
एक दिन तुम्हारी आंखों मे भी आंसुओं की बरसात होगी
मुझे तो तुझसे इतनी मोहब्बत ना थी
(हर प्यार करने वाला यही कहता हैं )
मुझे तो तुझसे इतनी मोहब्बत ना थी
इन धडकनों को भी तेरी इतनी आदत ना थी
पर अब
पर अब हर अदा तेरी मेरी आदत सी हो गई हैं
तेरी हर आदत मेरी ज़िंदगी सी हो गई हैं
तेरी हर आदत से अंकित को मोहब्बत हो गई हैं
लम्हों को सजाकर अपने तकिये के पास रखना
(जैसे अभी रखे हैं कुछ लम्हे आपने तकिये के पास आय हाय )
उन लम्हों को सजाकर अपने तकिये के पास रख लेना
और उस तकिये को अपनी बांहों मे भर लेना
लम्हे वो बीते बहुत याद आयेंगे
एक दिन जब हम ये तेरा शहर छोड़ जायेंगे
7th may closing poem
क्या हो तुम मुझे तो तुम बताओ
(ज़रुर बताता हूँ कि क्या हो तुम )
चल पड़ी हैं कश्तिया समंदर दूर हैं हमारा
चल पड़ी हैं कश्तिया समंदर दूर हैं हमारा
उस लैला से पूछ लेना तेरे बाद क्या हाल हैं हमारा
अब हवाए करेगी रोशनियों का फ़ैसला
(ये हवाए बड़े फैसले कर देती हैं )
अब हवाए करेगी रोशनियों का फ़ैसला
जिस दिए मे जान होगी वो दिया होगा हमारा
कल किसने देखा ?
मैंने नही आपने नही और प्यार ने भी नही
कि कल किसने देखा किसने जाना
बस तेरे साथ जो पल बीत गया
वही पल था हमारा
तेरी खुशबु मेरी तस्वीर से आती हैं
तेरी खुशबु मेरी तस्वीर से आती हैं
तस्वीर कि पलके ना झपकना
ना झपक कर मेरा इंतज़ार तुझे हर पल हैं ये बताती हैं
इंतज़ार के बाद एक दिल छम से कहीं से तेरा लौटकर मेरे सामने आ जाना
सोचा बहुत कुछ उस एक पल के लिए
सोचा बहुत कुछ उस एक पल के लिए
पर उस पल मेरी जुबान का खामोश हो जाना
हर पल यही दिल कहता हैं हमारा
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
कि बारिश गिरते ही तेरे आँसुओ की कहानी सुनाती हैं
(ये बारिश की बूंदे जब गिरती हैं तो कितने अहसास जगती हैं ये आप अच्छे से जानते हैं )
कि बारिश गिरते ही तेरे आँसुओ की कहानी सुनाती हैं
और तेरे गिरते आंसू उस कहानी को कहाँ सुन पाते हैं
वो कहानी नही सुन पाते
चल पड़ी हैं कश्तिया बस समंदर दूर हैं हमारा
(ज़रुर बताता हूँ कि क्या हो तुम )
चल पड़ी हैं कश्तिया समंदर दूर हैं हमारा
चल पड़ी हैं कश्तिया समंदर दूर हैं हमारा
उस लैला से पूछ लेना तेरे बाद क्या हाल हैं हमारा
अब हवाए करेगी रोशनियों का फ़ैसला
(ये हवाए बड़े फैसले कर देती हैं )
अब हवाए करेगी रोशनियों का फ़ैसला
जिस दिए मे जान होगी वो दिया होगा हमारा
कल किसने देखा ?
मैंने नही आपने नही और प्यार ने भी नही
कि कल किसने देखा किसने जाना
बस तेरे साथ जो पल बीत गया
वही पल था हमारा
तेरी खुशबु मेरी तस्वीर से आती हैं
तेरी खुशबु मेरी तस्वीर से आती हैं
तस्वीर कि पलके ना झपकना
ना झपक कर मेरा इंतज़ार तुझे हर पल हैं ये बताती हैं
इंतज़ार के बाद एक दिल छम से कहीं से तेरा लौटकर मेरे सामने आ जाना
सोचा बहुत कुछ उस एक पल के लिए
सोचा बहुत कुछ उस एक पल के लिए
पर उस पल मेरी जुबान का खामोश हो जाना
हर पल यही दिल कहता हैं हमारा
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
कि बारिश गिरते ही तेरे आँसुओ की कहानी सुनाती हैं
(ये बारिश की बूंदे जब गिरती हैं तो कितने अहसास जगती हैं ये आप अच्छे से जानते हैं )
कि बारिश गिरते ही तेरे आँसुओ की कहानी सुनाती हैं
और तेरे गिरते आंसू उस कहानी को कहाँ सुन पाते हैं
वो कहानी नही सुन पाते
चल पड़ी हैं कश्तिया बस समंदर दूर हैं हमारा
7th may opening poem
हम हंसते हैं तो वो समझाते हैं हमे आदत हैं मुस्कुराने की
लेकिन वो नादान क्या जाने ये भी एक अदा हैं गम छुपाने की
कभी हमसे पूछा करो कि हमपे क्या बीती हैं
(बहुत बार ऐसा आपके साथ भी होता होगा ना )
कभी हमसे पूछा करो कि हमपे क्या बीती हैं
क्यों आंसू छुपा कर हम हंसा करते हैं
वैसे मन ही मन रोया करते हैं
क्या कहे मोहब्बत
हम तुझसे कितना प्यार करते हैं
(ध्यान से सुनियेगा )
बारिश आते ही हम भुट्टो का इंतज़ार करते हैं
कि बारिश आते ही हम भुट्टो का इंतज़ार करते हैं
अकेले ही पाल पर टहल कर अपना दिल बहलाया करते हैं
चांदनी रातो मे सारा जहाँ सोया करता हैं
लेकिन हम किसी के इंतज़ार मे पूरी रात जागा करते हैं
जब भी किसी को अपने करीब पाया हैं
सच कहू तु बहुत याद आया हैं
लोग क्यों दोष देते हैं उन फूलों को
कि लोग क्यों दोष देते हैं उन फूलों को
इस दीवाने को तो एक कांटे पर प्यार आया हैं
लोग उस फूल के सजाने सँवारने पर भी पाबन्दी लगा देते हैं
लोग उस फूल के सजाने सँवारने पर भी पाबन्दी लगा देते हैं
हम क्या करे हमे तो सारे शहर मे
एक सीधा सादा गुलाब पसंद आया हैं
हमे हंसते रहने की आदत तो नही
मगर क्या करे
ऐसे ही हंसते हंसते देखा किसी को
तो उस पर बहुत प्यार आया हैं
लेकिन वो नादान क्या जाने ये भी एक अदा हैं गम छुपाने की
कभी हमसे पूछा करो कि हमपे क्या बीती हैं
(बहुत बार ऐसा आपके साथ भी होता होगा ना )
कभी हमसे पूछा करो कि हमपे क्या बीती हैं
क्यों आंसू छुपा कर हम हंसा करते हैं
वैसे मन ही मन रोया करते हैं
क्या कहे मोहब्बत
हम तुझसे कितना प्यार करते हैं
(ध्यान से सुनियेगा )
बारिश आते ही हम भुट्टो का इंतज़ार करते हैं
कि बारिश आते ही हम भुट्टो का इंतज़ार करते हैं
अकेले ही पाल पर टहल कर अपना दिल बहलाया करते हैं
चांदनी रातो मे सारा जहाँ सोया करता हैं
लेकिन हम किसी के इंतज़ार मे पूरी रात जागा करते हैं
जब भी किसी को अपने करीब पाया हैं
सच कहू तु बहुत याद आया हैं
लोग क्यों दोष देते हैं उन फूलों को
कि लोग क्यों दोष देते हैं उन फूलों को
इस दीवाने को तो एक कांटे पर प्यार आया हैं
लोग उस फूल के सजाने सँवारने पर भी पाबन्दी लगा देते हैं
लोग उस फूल के सजाने सँवारने पर भी पाबन्दी लगा देते हैं
हम क्या करे हमे तो सारे शहर मे
एक सीधा सादा गुलाब पसंद आया हैं
हमे हंसते रहने की आदत तो नही
मगर क्या करे
ऐसे ही हंसते हंसते देखा किसी को
तो उस पर बहुत प्यार आया हैं
6th may closing poem
तुम कहती हो तुम्हे फूलों से प्यार हैं
तुम कहती हो तुम्हे फूलों से प्यार हैं
मगर जब फूल खिलते हैं
तुम उन्हें टहनियों से तोड़ देती हो
तुम कहती हो कि तुम्हे बारिश से प्यार हैं
(बारिश की वो बूंदे वो प्यारा सा मौसम )
तुम कहती हो तुम्हे बारिश से प्यार हैं
मगर जब बारिश होती हैं
तुम किसी पेड़ के पीछे छिप जाती हो
तुम कहती हो तुम्हे हवाओ से मोहब्बत हैं
तुम कहती हो तुम्हे हवाओ से मोहब्बत हैं
मगर जब हवाए चलती हैं तुम खिड़किया बंद कर लेती हो
ना जाने क्यों ऐसा करती हो मगर करती हो
तुम कहती हो तुम्हे मुझसे बातें करना बहुत पसंद हैं
(आय हाय क्या smile आई हैं जी )
तुम कहती हो तुम्हे मुझसे बातें करना बहुत पसंद हैं
मगर जब मिलती हो चुप हो जाती हो
तुम कहती हो अपने हाथ से खाना खिलोगी
तुम कहती हो मुझे अपने हाथ से खाना खिलोगी
मगर जब घर आता हूँ कहाँ कुछ खिला पाती हो
वही कोने मे सोफे पे टकटकी लगाकर
बैठे बैठे बस मुझे देखती जाती हो
तुम कहती हो नींद वक्त पर लेना
अपना ध्यान रखना
तुम कहती हो नींद वक्त पर लेना अपना ध्यान रखना
क्यूंकि तुम्हे नींद से बड़ा प्यार हैं
मगर मुझ शैतान को याद करने के बाद
कहाँ एक पल भी तुम सो पाती हो
हर बार तुम मुझसे बहुत सी बातें करना चाहती हो
मगर मैं वक्त का मारा हूँ
कहाँ वक्त पर होता हूँ
कहाँ वो सारी बातें अब तुम तुम मुझसे कर पाती हो
तुम कहती हो तुम्हे फूलों से प्यार हैं
मगर जब फूल खिलते हैं
तुम उन्हें टहनियों से तोड़ देती हो
तुम कहती हो कि तुम्हे बारिश से प्यार हैं
(बारिश की वो बूंदे वो प्यारा सा मौसम )
तुम कहती हो तुम्हे बारिश से प्यार हैं
मगर जब बारिश होती हैं
तुम किसी पेड़ के पीछे छिप जाती हो
तुम कहती हो तुम्हे हवाओ से मोहब्बत हैं
तुम कहती हो तुम्हे हवाओ से मोहब्बत हैं
मगर जब हवाए चलती हैं तुम खिड़किया बंद कर लेती हो
ना जाने क्यों ऐसा करती हो मगर करती हो
तुम कहती हो तुम्हे मुझसे बातें करना बहुत पसंद हैं
(आय हाय क्या smile आई हैं जी )
तुम कहती हो तुम्हे मुझसे बातें करना बहुत पसंद हैं
मगर जब मिलती हो चुप हो जाती हो
तुम कहती हो अपने हाथ से खाना खिलोगी
तुम कहती हो मुझे अपने हाथ से खाना खिलोगी
मगर जब घर आता हूँ कहाँ कुछ खिला पाती हो
वही कोने मे सोफे पे टकटकी लगाकर
बैठे बैठे बस मुझे देखती जाती हो
तुम कहती हो नींद वक्त पर लेना
अपना ध्यान रखना
तुम कहती हो नींद वक्त पर लेना अपना ध्यान रखना
क्यूंकि तुम्हे नींद से बड़ा प्यार हैं
मगर मुझ शैतान को याद करने के बाद
कहाँ एक पल भी तुम सो पाती हो
हर बार तुम मुझसे बहुत सी बातें करना चाहती हो
मगर मैं वक्त का मारा हूँ
कहाँ वक्त पर होता हूँ
कहाँ वो सारी बातें अब तुम तुम मुझसे कर पाती हो
6th may opening poem
ज़माना कहता हैं कि लड़किया बेवफा होती हैं
और हम कहते हैं कि लड़किया बेवफा नही होती
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
वो तो मजबूरियों मे लिपटी रहती हैं
अपने शिद्दत भरे ख्यालो मे हमेशा उलझी रहती हैं
अपने अंदर छुपी एक औरत को पुरी ज़िंदगी सम्हाल कर रखती हैं
और उस औरत से वो हमेशा डरा करती हैं
कौन कहता हैं कि लड़किया बेवफा होती हैं
ना वो जीती हैं ना वो मरती हैं
पर सच प्यार बड़ा करती हैं
ना वो जीती हैं ना वो मरती हैं
पर सच वो प्यार बड़ा करती हैं
अपने रीति और रिवाजों से
दिल मे आने वाले अपने हर ख्याल से
ज़रूरत मे खिले गुलाबो से
दिल के बंद ज़ज्बातो से
प्यार बड़ा करती हैं
प्यार करती हैं और छुपाती हैं
(कई बार मोहब्बत मे ऐसा होता होगा कि आपका महबूब आपसे कभी कुछ कह नही पाता होगा बड़ा बुरा लगता हैं मगर सुनियेगा ध्यान से )
प्यार करती हैं और हर बात छुपाती हैं
बताने वाली बातें भी वो हमसे वो कहाँ बता पाती हैं
अपने प्यार से अपने साए से
अपने रिश्तो से दिल की धडकनों से
अपनी ख्वाहिशों से अपनी खुशियों से
अपनी हर खुशी हम पर कुर्बान कर जाती हैं
यही लड़किया होती हैं
हाँ लड़किया प्यार होती हैं मोहब्बत होती हैं
कुछ मजबुरिया हो तभी वो बेवफा होती हैं
ज़माना कहता हैं कि लड़किया बेवफा होती हैं
पर अंकित कहता हैं कि लड़किया बेवफा नही होती
और हम कहते हैं कि लड़किया बेवफा नही होती
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
वो तो मजबूरियों मे लिपटी रहती हैं
अपने शिद्दत भरे ख्यालो मे हमेशा उलझी रहती हैं
अपने अंदर छुपी एक औरत को पुरी ज़िंदगी सम्हाल कर रखती हैं
और उस औरत से वो हमेशा डरा करती हैं
कौन कहता हैं कि लड़किया बेवफा होती हैं
ना वो जीती हैं ना वो मरती हैं
पर सच प्यार बड़ा करती हैं
ना वो जीती हैं ना वो मरती हैं
पर सच वो प्यार बड़ा करती हैं
अपने रीति और रिवाजों से
दिल मे आने वाले अपने हर ख्याल से
ज़रूरत मे खिले गुलाबो से
दिल के बंद ज़ज्बातो से
प्यार बड़ा करती हैं
प्यार करती हैं और छुपाती हैं
(कई बार मोहब्बत मे ऐसा होता होगा कि आपका महबूब आपसे कभी कुछ कह नही पाता होगा बड़ा बुरा लगता हैं मगर सुनियेगा ध्यान से )
प्यार करती हैं और हर बात छुपाती हैं
बताने वाली बातें भी वो हमसे वो कहाँ बता पाती हैं
अपने प्यार से अपने साए से
अपने रिश्तो से दिल की धडकनों से
अपनी ख्वाहिशों से अपनी खुशियों से
अपनी हर खुशी हम पर कुर्बान कर जाती हैं
यही लड़किया होती हैं
हाँ लड़किया प्यार होती हैं मोहब्बत होती हैं
कुछ मजबुरिया हो तभी वो बेवफा होती हैं
ज़माना कहता हैं कि लड़किया बेवफा होती हैं
पर अंकित कहता हैं कि लड़किया बेवफा नही होती
Wednesday, May 7, 2008
5th may opening poem
मेरी उम्मीद छुपी थी मेरे सवालो मे
तुने इकरार ना सही इनकार ही किया होता
मैं इतना बुरा भी तो नही सनम
तुने कुछ तो मेरा ऐतबार किया होता
(ऐसा होता हैं ना उदयपुर जब हम किसी से बेइंतहां मोहब्बत करने लगते हैं तो उसका इनकार या इकरार सब हमारे लिए बहुत ज़रूरी होता हैं )
कि मैं इतना बुरा भी तो नही सनम
तुने मेरा कुछ तो ऐतबार किया होता
मैं तो तेरे अपना हूँ
मैं तो तेरे अपना हूँ
नही कोई सपना हूँ
तेरी हर बात मैं सबसे छिपाऊ
तु गैर माने तो भी कोई बात नही
गैर बनकर ही तेरा दामन तो ना मैंने दागदार किया होता
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
अफ़सोस कि तुम मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत हो
अफ़सोस....
(अफ़सोस इस बात का कि तुम मिली नही )
अफ़सोस कि तुम मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत हो
मुझ पर ना सही बस इसी अहसास पर एक पल को सोच विचार तो किया होता
मैंने तो तुम्हे एक दफा मोहब्बत की थी
कि मैंने तो तुम्हे एक दफा मोहब्बत की थी
अगर ये जुर्म भी होता तो ये गुनाह मैंने बार बार किया होता
तुम ये दुआ ना दे देना कि सदा खुश रहो अंकित
तुम ये दुआ ना दे देना कि सदा खुश रहो अंकित
एक बार नाराज़गी का अपनी अपनो से तो ज़िक्र किया होता
तेरा बिना जीना किन्नी बड़ी सज़ा हैं
(हैं जी )
तेरे बिना जीना किन्नी बड़ी सज़ा हैं
काश तुने भी मेरा थोड़ा सा इंतज़ार किया होता
तुने इकरार ना सही इनकार ही किया होता
मैं इतना बुरा भी तो नही सनम
तुने कुछ तो मेरा ऐतबार किया होता
(ऐसा होता हैं ना उदयपुर जब हम किसी से बेइंतहां मोहब्बत करने लगते हैं तो उसका इनकार या इकरार सब हमारे लिए बहुत ज़रूरी होता हैं )
कि मैं इतना बुरा भी तो नही सनम
तुने मेरा कुछ तो ऐतबार किया होता
मैं तो तेरे अपना हूँ
मैं तो तेरे अपना हूँ
नही कोई सपना हूँ
तेरी हर बात मैं सबसे छिपाऊ
तु गैर माने तो भी कोई बात नही
गैर बनकर ही तेरा दामन तो ना मैंने दागदार किया होता
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
अफ़सोस कि तुम मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत हो
अफ़सोस....
(अफ़सोस इस बात का कि तुम मिली नही )
अफ़सोस कि तुम मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत हो
मुझ पर ना सही बस इसी अहसास पर एक पल को सोच विचार तो किया होता
मैंने तो तुम्हे एक दफा मोहब्बत की थी
कि मैंने तो तुम्हे एक दफा मोहब्बत की थी
अगर ये जुर्म भी होता तो ये गुनाह मैंने बार बार किया होता
तुम ये दुआ ना दे देना कि सदा खुश रहो अंकित
तुम ये दुआ ना दे देना कि सदा खुश रहो अंकित
एक बार नाराज़गी का अपनी अपनो से तो ज़िक्र किया होता
तेरा बिना जीना किन्नी बड़ी सज़ा हैं
(हैं जी )
तेरे बिना जीना किन्नी बड़ी सज़ा हैं
काश तुने भी मेरा थोड़ा सा इंतज़ार किया होता
3rd may closing poem
शाम थी तन्हा तन्हा
कल चिराग कुछ बुझे हुए
मेरे दिल कि किताब पे कुछ तेरे प्यार के लब्ज़
बड़े प्यार से लिखे हुए
ख्वाब हैं धुआं धुआं होश भी गुम हुआ
(ऐसा आपके साथ भी होता होगा ना जब कोई बहुत प्यार से देखता होगा )
कि ख्वाब हैं धुआं धुआं होश भी गुम हुआ
पलको के पर्दों के पीछे हया के सागर छुपे हुए
तेरी याद हैं जहाँ जहाँ
(ज़रा ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
तेरी याद हैं जहाँ जहाँ
दिल मेरा वहाँ वहाँ
तेरी याद हैं जहाँ जहाँ
दिल मेरा वहाँ वहाँ
मेरी आरजू के आँगन मे
मेरे प्यार का गुल खिला हुआ
इंतज़ार की इन्तेहा हैं ये
(बड़ा कमाल का हैं ये इंतज़ार कभी तो इंतज़ार करने के बाद कोई आपसे मिलने चला आए तो ये इंतज़ार ख़त्म हो जाता हैं और कभी ये होता हैं पूरी ज़िंदगी का इंतज़ार आप ये भी नही जानते कि किस बात कि सज़ा कोई आपको हमेशा के लिए देने वाला हैं हमेशा इंतज़ार कराने वाला हैं कहते हैं ना कि )
इंतज़ार की इन्तेहा हैं ये
ये दर्द दिल मे घुला हुआ
शिकायते आंखों मे हैं
पर मेरा होठ ना जाने कबसे सिला हुआ
कल चिराग कुछ बुझे हुए
मेरे दिल कि किताब पे कुछ तेरे प्यार के लब्ज़
बड़े प्यार से लिखे हुए
ख्वाब हैं धुआं धुआं होश भी गुम हुआ
(ऐसा आपके साथ भी होता होगा ना जब कोई बहुत प्यार से देखता होगा )
कि ख्वाब हैं धुआं धुआं होश भी गुम हुआ
पलको के पर्दों के पीछे हया के सागर छुपे हुए
तेरी याद हैं जहाँ जहाँ
(ज़रा ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
तेरी याद हैं जहाँ जहाँ
दिल मेरा वहाँ वहाँ
तेरी याद हैं जहाँ जहाँ
दिल मेरा वहाँ वहाँ
मेरी आरजू के आँगन मे
मेरे प्यार का गुल खिला हुआ
इंतज़ार की इन्तेहा हैं ये
(बड़ा कमाल का हैं ये इंतज़ार कभी तो इंतज़ार करने के बाद कोई आपसे मिलने चला आए तो ये इंतज़ार ख़त्म हो जाता हैं और कभी ये होता हैं पूरी ज़िंदगी का इंतज़ार आप ये भी नही जानते कि किस बात कि सज़ा कोई आपको हमेशा के लिए देने वाला हैं हमेशा इंतज़ार कराने वाला हैं कहते हैं ना कि )
इंतज़ार की इन्तेहा हैं ये
ये दर्द दिल मे घुला हुआ
शिकायते आंखों मे हैं
पर मेरा होठ ना जाने कबसे सिला हुआ
3rd may opening poem
मोहब्बत मुझे थी उससे सनम
बस कभी कह ना पाए उससे हम
(ध्यान से सुनियेगा आज की इस poem को)
मोहब्बत मुझे थी उससे सनम
बस कभी कह ना पाए उससे हम
वो रोज़ बालकनी मे टहलती थी
वो रोज़ बालकनी मे टहलती थी सारी सारी रात देख उसको हमारी रात बहलती थी
(ऐसा तो कई बार हुआ होगा ना उदयपुर कि अपनी मोहब्बत को देखने के लिए आप सारी रात बालकनी मे टहलते रहे )
वो रोज़ बालकनी मे टहलती थी
सारी सारी रात देख उसको हमारी रात बहलती थी
एक पेड़ को मैं रोज़ मैं बहुत पानी पिलाता था
एक पेड़ को मैं रोज़ मैं बहुत पानी पिलाता था
यही वो पेड़ था जो उसकी बालकनी तक जाता था
और सरे मोहल्ले वालो को हमारा प्रकृति प्रेम नज़र आता था
दिन रात सुबह शाम मैं उस पेड़ के आसपास ही मंडराता था
(आय हाय आपके चहरे पे आ रही smile बता रही हैं कि बहुत बार हुआ हैं ऐसा )
यही वो पेड़ था जो उसकी बालकनी तक जाता था
और सारे मोहल्ले वालो को हमारा प्रकृति प्रेम नज़र आता था
पर मोहब्बत परवान चढ़ती कैसे
पेड़ के साथ साथ कभी कभी मुझे उसका भाई नज़र आता था
(पर जो होना होता हैं वो होता हैं)
पर दोस्ती उसके भाई से हो गयी जब उसकी बल एक दिन हमारे आँगन मे खो गयी
पर दोस्ती उसके भाई से हो गयी जब एक दिन उसकी बल हमारे आँगन मे खो गयी
सिलसिला उसके घर जाने का शुरू हो गया
(खूब मिठाई bantwaayi thi )
सिलसिला उसके घर जाने का शुरू हो गया
उसकी मम्मी दादी अब मेरी मम्मी दादी हो गयी
और उसके घर के जानवरों को मुझसे प्यार हो गया
(और तो कोई करता नही उन्होने प्यार कर लिया )
उसकी मम्मी दादी मेरी दादी मम्मी हो गयी थी
और उसके घर के जानवरों को मुझसे प्यार हो गया
हमने सोचा कि कह देंगे अब दिल कि बात
मगर उसी दिन उसका entrance का पेपर clear हो गया
अगले दिन उसके पापा का ट्रान्सफर हो गया
पता चला प्यार व्यार का तो कुछ मालूम नही
हाँ आंखों ही आंखों मे बस उस बालकनी मे उससे इजहार हो गया
बस कभी कह ना पाए उससे हम
(ध्यान से सुनियेगा आज की इस poem को)
मोहब्बत मुझे थी उससे सनम
बस कभी कह ना पाए उससे हम
वो रोज़ बालकनी मे टहलती थी
वो रोज़ बालकनी मे टहलती थी सारी सारी रात देख उसको हमारी रात बहलती थी
(ऐसा तो कई बार हुआ होगा ना उदयपुर कि अपनी मोहब्बत को देखने के लिए आप सारी रात बालकनी मे टहलते रहे )
वो रोज़ बालकनी मे टहलती थी
सारी सारी रात देख उसको हमारी रात बहलती थी
एक पेड़ को मैं रोज़ मैं बहुत पानी पिलाता था
एक पेड़ को मैं रोज़ मैं बहुत पानी पिलाता था
यही वो पेड़ था जो उसकी बालकनी तक जाता था
और सरे मोहल्ले वालो को हमारा प्रकृति प्रेम नज़र आता था
दिन रात सुबह शाम मैं उस पेड़ के आसपास ही मंडराता था
(आय हाय आपके चहरे पे आ रही smile बता रही हैं कि बहुत बार हुआ हैं ऐसा )
यही वो पेड़ था जो उसकी बालकनी तक जाता था
और सारे मोहल्ले वालो को हमारा प्रकृति प्रेम नज़र आता था
पर मोहब्बत परवान चढ़ती कैसे
पेड़ के साथ साथ कभी कभी मुझे उसका भाई नज़र आता था
(पर जो होना होता हैं वो होता हैं)
पर दोस्ती उसके भाई से हो गयी जब उसकी बल एक दिन हमारे आँगन मे खो गयी
पर दोस्ती उसके भाई से हो गयी जब एक दिन उसकी बल हमारे आँगन मे खो गयी
सिलसिला उसके घर जाने का शुरू हो गया
(खूब मिठाई bantwaayi thi )
सिलसिला उसके घर जाने का शुरू हो गया
उसकी मम्मी दादी अब मेरी मम्मी दादी हो गयी
और उसके घर के जानवरों को मुझसे प्यार हो गया
(और तो कोई करता नही उन्होने प्यार कर लिया )
उसकी मम्मी दादी मेरी दादी मम्मी हो गयी थी
और उसके घर के जानवरों को मुझसे प्यार हो गया
हमने सोचा कि कह देंगे अब दिल कि बात
मगर उसी दिन उसका entrance का पेपर clear हो गया
अगले दिन उसके पापा का ट्रान्सफर हो गया
पता चला प्यार व्यार का तो कुछ मालूम नही
हाँ आंखों ही आंखों मे बस उस बालकनी मे उससे इजहार हो गया
2nd may closing poem
वक्त कि आवाज़ हैं ये कदर करो मेरी तुम
वक्त कि आवाज़ हैं ये कदर करो मेरी तुम
मैं कल फिर ना आऊंगा
जो वक्त हूँ आज तुम्हारा
एक दिन एक पल मे मैं किसी और का हो जाऊंगा
मैं कहा कब रुक कर रहता हूँ
मैं पानी कि तरह बस बहता रहता हूँ
मैं वक्त आया हूँ आज
सच आऊंगा कल पर ये पल ना होंगे
आज करो जो करना हैं
मैं तो कल ना जाने कहाँ चला जाऊंगा
ना रुका हूँ मैं किसी के पास
ना कभी रुक पाऊंगा
चाहता हूँ हर एक के साथ पुरा वक्त बिताना
पर वक्त नाम हैं ना मेरा
इसीलिए वक्त के पास भी कहाँ रुक पाता हूँ
ये वक्त हूँ मैं इसीलिए घड़ी की सुइयों के साथ
हर वक्त बढ़ता रहता हूँ
मुझे भी वक्त पर कहीं पहुँचाना होता हैं
हर वक्त का एक वक्त होता हैं
वक्त होता हैं किसी को उठाने का मनाने का
जगाने का मिलाने का हज़ार बहने बनने का
इसीलिए मैं वक्त हूँ क्यूंकि
मैं हर पल वक्त पर पहुंचता हूँ
ना कभी वक्त से पहले होता हूँ
ना कभी वक्त के बाद
मैं वक्त हूँ इसीलिए
हर वक्त आपके पास होता हूँ
वक्त कि आवाज़ हैं ये कदर करो मेरी तुम
मैं कल फिर ना आऊंगा
जो वक्त हूँ आज तुम्हारा
एक दिन एक पल मे मैं किसी और का हो जाऊंगा
मैं कहा कब रुक कर रहता हूँ
मैं पानी कि तरह बस बहता रहता हूँ
मैं वक्त आया हूँ आज
सच आऊंगा कल पर ये पल ना होंगे
आज करो जो करना हैं
मैं तो कल ना जाने कहाँ चला जाऊंगा
ना रुका हूँ मैं किसी के पास
ना कभी रुक पाऊंगा
चाहता हूँ हर एक के साथ पुरा वक्त बिताना
पर वक्त नाम हैं ना मेरा
इसीलिए वक्त के पास भी कहाँ रुक पाता हूँ
ये वक्त हूँ मैं इसीलिए घड़ी की सुइयों के साथ
हर वक्त बढ़ता रहता हूँ
मुझे भी वक्त पर कहीं पहुँचाना होता हैं
हर वक्त का एक वक्त होता हैं
वक्त होता हैं किसी को उठाने का मनाने का
जगाने का मिलाने का हज़ार बहने बनने का
इसीलिए मैं वक्त हूँ क्यूंकि
मैं हर पल वक्त पर पहुंचता हूँ
ना कभी वक्त से पहले होता हूँ
ना कभी वक्त के बाद
मैं वक्त हूँ इसीलिए
हर वक्त आपके पास होता हूँ
2nd may opening poem
तेरे बारे मे क्या कहू जो भी कहू वो कम कहू
तेरी आंखों की वो आंखें
(आंखों की आंखें )
कि तेरी आंखों की वो आंखें
जिसमे मैं रहता हूँ क्या बात हैं
जब भी झपके तो दीवानों का बुरा हाल हैं
वाह क्या बात हैं
तेरे बारे मे क्या कहू जो भी कहू कम कहू
तेरी हँसी से तो हर एक की रौनक हैं
तो तेरी बातो से सबका दिल बहलाता हैं
बस कमबख्त एक मेरा ही दिल धड़कता हैं
तेरी हँसी से हर एक कि रौनक हैं
तो तेरी बातो से सबका दिल बहलाता हैं
एक मेरा ही धड़कता हैं
अगर कभी तु खामोश या उदास रहे
तो हर एक के दिल मे दर्द सा रहता हैं
तु हैं शौख चंचल पानी सी
तो कभी आईने के समान चुप चुप सी
तेरी बातें आजकल चाँद सितारों के दरबार मे होती हैं
तेरी बातें आजकल चाँद सितारों के दरबार मे होती हैं
हर रात सब खिड़की पे आ खड़े होते हैं जब तु चुपके से सोती हैं
चाँद ने भी एक parler का पता हमसे पूछा
(inferiority complex हो गया चाँद को )
कि चाँद ने भी एक पर्लेर का पता हमसे पूछा हैं
कैसे सुंदर लगे वो तुमसे
यही बात उसके दिल मे चलती रहती हैं
चमकना भूल गया पर वक्त पर आना याद रहा
पर तु कहा सुंदर लग्न चाहती हैं
तु तो बस हर दिल मे बसना चाहती हैं
रहोगी मेरे इस दिल मे हमेशा हमेशा
चाहे हम कुछ कहे तेरे बारे मे या ना कहे
यही तो कि तेरे बारे मे क्या कहू
जो भी कहू कुछ कम कहू
तेरी आंखों की वो आंखें
(आंखों की आंखें )
कि तेरी आंखों की वो आंखें
जिसमे मैं रहता हूँ क्या बात हैं
जब भी झपके तो दीवानों का बुरा हाल हैं
वाह क्या बात हैं
तेरे बारे मे क्या कहू जो भी कहू कम कहू
तेरी हँसी से तो हर एक की रौनक हैं
तो तेरी बातो से सबका दिल बहलाता हैं
बस कमबख्त एक मेरा ही दिल धड़कता हैं
तेरी हँसी से हर एक कि रौनक हैं
तो तेरी बातो से सबका दिल बहलाता हैं
एक मेरा ही धड़कता हैं
अगर कभी तु खामोश या उदास रहे
तो हर एक के दिल मे दर्द सा रहता हैं
तु हैं शौख चंचल पानी सी
तो कभी आईने के समान चुप चुप सी
तेरी बातें आजकल चाँद सितारों के दरबार मे होती हैं
तेरी बातें आजकल चाँद सितारों के दरबार मे होती हैं
हर रात सब खिड़की पे आ खड़े होते हैं जब तु चुपके से सोती हैं
चाँद ने भी एक parler का पता हमसे पूछा
(inferiority complex हो गया चाँद को )
कि चाँद ने भी एक पर्लेर का पता हमसे पूछा हैं
कैसे सुंदर लगे वो तुमसे
यही बात उसके दिल मे चलती रहती हैं
चमकना भूल गया पर वक्त पर आना याद रहा
पर तु कहा सुंदर लग्न चाहती हैं
तु तो बस हर दिल मे बसना चाहती हैं
रहोगी मेरे इस दिल मे हमेशा हमेशा
चाहे हम कुछ कहे तेरे बारे मे या ना कहे
यही तो कि तेरे बारे मे क्या कहू
जो भी कहू कुछ कम कहू
1st may closing poem
अब तो नींद नही आयेगी देख सिरहाने तुम्हारी याद
हमने तो रिश्ता बोया था
ये प्यार ना जाने कब वहाँ उग आया
कब सींचा कब हरा हो गया
कैसे कर दी उसने छाया
अब इस दिल को कौन संभाले
ना कन्धा हैं ना बाँहें तुम्हारी
पर चाहता ह कि मुझे नींद आये
नींद आये ख्वाब आये और तुम्हारी याद आये
जहा देखु मुझे बस तु ही तु नज़र आये
जहा देखु मुझे बस तु ही तु नज़र आये
रोज़ तेरे साये को देखकर ख़ुद को तो समझा लेता हूँ
पर तुझे सचमुच देखने के बाद इस दिल को कौन समझाए
तु नज़र ना आये तो मन घबराए
नज़र आ जाए तो ये जुबान कुछ भी ना कह पाये
तेरी वो हर बात मुझे कमाल लगती हैं
जब भी ये हवा कहीं भी चले
मुझे बस सिर्फ़ तेरा नाम सुनाये
पूजा करू मैं भगवान् की
पूजा करू मैं भगवान् की
पर अगरबत्ती का वो धुआं तेरी तसवीर बनाये
तो कोई क्या पर पाए
हमने तो रिश्ता बोया था
ये प्यार ना जाने कब वहाँ उग आया
कब सींचा कब हरा हो गया
कैसे कर दी उसने छाया
अब इस दिल को कौन संभाले
ना कन्धा हैं ना बाँहें तुम्हारी
पर चाहता ह कि मुझे नींद आये
नींद आये ख्वाब आये और तुम्हारी याद आये
जहा देखु मुझे बस तु ही तु नज़र आये
जहा देखु मुझे बस तु ही तु नज़र आये
रोज़ तेरे साये को देखकर ख़ुद को तो समझा लेता हूँ
पर तुझे सचमुच देखने के बाद इस दिल को कौन समझाए
तु नज़र ना आये तो मन घबराए
नज़र आ जाए तो ये जुबान कुछ भी ना कह पाये
तेरी वो हर बात मुझे कमाल लगती हैं
जब भी ये हवा कहीं भी चले
मुझे बस सिर्फ़ तेरा नाम सुनाये
पूजा करू मैं भगवान् की
पूजा करू मैं भगवान् की
पर अगरबत्ती का वो धुआं तेरी तसवीर बनाये
तो कोई क्या पर पाए
Friday, May 2, 2008
1st may opening poem
जी रहे हैं ज़िंदगी कि सांसो मे तुम हो
जब आंखें बंद करता हूँ तो हर ख्वाब मे तुम हो
जब किनारे बैठा होता हूँ और लहरे छूकर जाती हैं
जब किनारे बैठा होता हूँ और लहरे छूकर जाती हैं
तब लगता हैं उन लहरों मे सिर्फ़ तुम हो
जब बोलता हूँ मैं चटर चटर
(सब कहते हैं कि बहुत बातें आ गई हैं मुझको )
जब बोलता हूँ मैं चटर चटर
तो मेरी हर बात मे सिर्फ़ तुम हो
लिखता हूँ मैं जब भी बिना कुछ सोचे
या जब सोचकर लिखना चाहता हूँ
सच कहू मेरे हर लफ्ज़ मे सिर्फ़ तुम हो
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
धड़कता तो था ये दिल पहले भी
(हैं जी बहुत धड़कता हैं ये दिल )
कि धड़कता तो था ये दिल पहले भी
पर अब धड़कन मे सिर्फ़ तुम हो
तेरे आने का तो कभी पता रहता नही
(तुम कभी आ जाती हो तो कभी चली जाती हो )
तेरे आने का तो कभी पता रहता नही
शायद इसीलिए ज़िंदगी भर मेरे इंतज़ार मे सिर्फ़ तुम हो
तेरी कॉलोनी वालो पर गुस्सा अब आता नही
(ये तब जब आप किसी से मिलने किसी को लेने उसके घर जाते हैं )
तेरी कॉलोनी वालो पर गुस्सा अब आता नही
मैं क्या करू तेरी कॉलोनी मे तेरे सिवा कोई बता नही
मेरी हर बात मे तुम हो
मेरी हर बात मे तुम हो
चाँद की रात मे तुम हो
रोज़ झरने मे जिस शक्स से मुलाक़ात होती हैं
(जब झरना गिरता हैं तो एक तस्वीर बनाता हैं महबूब कि तस्वीर )
रोज़ झरने मे जिस शक्स से मुलाकात होती हैं
मेरी उस मुलाकात मे सिर्फ़ तुम हैं
सच कह रहे हैं अभी तक सिर्फ़ इसलिए जिंदा हैं कि
अब मेरी जान मे तुम हो
जब आंखें बंद करता हूँ तो हर ख्वाब मे तुम हो
जब किनारे बैठा होता हूँ और लहरे छूकर जाती हैं
जब किनारे बैठा होता हूँ और लहरे छूकर जाती हैं
तब लगता हैं उन लहरों मे सिर्फ़ तुम हो
जब बोलता हूँ मैं चटर चटर
(सब कहते हैं कि बहुत बातें आ गई हैं मुझको )
जब बोलता हूँ मैं चटर चटर
तो मेरी हर बात मे सिर्फ़ तुम हो
लिखता हूँ मैं जब भी बिना कुछ सोचे
या जब सोचकर लिखना चाहता हूँ
सच कहू मेरे हर लफ्ज़ मे सिर्फ़ तुम हो
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
धड़कता तो था ये दिल पहले भी
(हैं जी बहुत धड़कता हैं ये दिल )
कि धड़कता तो था ये दिल पहले भी
पर अब धड़कन मे सिर्फ़ तुम हो
तेरे आने का तो कभी पता रहता नही
(तुम कभी आ जाती हो तो कभी चली जाती हो )
तेरे आने का तो कभी पता रहता नही
शायद इसीलिए ज़िंदगी भर मेरे इंतज़ार मे सिर्फ़ तुम हो
तेरी कॉलोनी वालो पर गुस्सा अब आता नही
(ये तब जब आप किसी से मिलने किसी को लेने उसके घर जाते हैं )
तेरी कॉलोनी वालो पर गुस्सा अब आता नही
मैं क्या करू तेरी कॉलोनी मे तेरे सिवा कोई बता नही
मेरी हर बात मे तुम हो
मेरी हर बात मे तुम हो
चाँद की रात मे तुम हो
रोज़ झरने मे जिस शक्स से मुलाक़ात होती हैं
(जब झरना गिरता हैं तो एक तस्वीर बनाता हैं महबूब कि तस्वीर )
रोज़ झरने मे जिस शक्स से मुलाकात होती हैं
मेरी उस मुलाकात मे सिर्फ़ तुम हैं
सच कह रहे हैं अभी तक सिर्फ़ इसलिए जिंदा हैं कि
अब मेरी जान मे तुम हो
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