कभी ज़माने की बातो का हम पर असर हो जाए
कभी ज़माने की बातो का हम पर असर हो जाए
तो इश्क का रोग लगे और ज़िंदगी बसर हो जाए
हाँ कुछ लोगो ने इश्क को पागलपने का नाम दिया
हाँ कुछ लोगो ने इश्क को पागलपने का नाम दिया
खुदा करे उनका भी होश कही जाए
ज़िंदगी काटने के हमने बहाने ढूंढे
(हर बात पे बहाने ढूंढेते हैं हम )
कि ज़िंदगी काटने के हमने बहाने ढूंढे
कंगाल बस्ती मे हमने खजाने ढूंढे
थक कर मैं चूर हुआ फिर भी
(किसी को याद करते करते थक जाते हैं हम )
थक कर मैं चूर हुआ फिर भी
रेत मे तेरे लिए घर बनने के हज़ार फ़साने ढूंढे
प्यास जिसकी थी वो कभी पास ना आया
(हैं जी )
कि प्यास जिसकी थी वो कभी पास ना आया
ज़िंदगी को मेरा सलाम रास ना आया
कम से कम मुझको ज़िंदगी की कदर हो जाए
एक दिन ये दुनिया मुझे धुधे और
मेरी ज़िंदगी तेरे साथ बसर हो जाए
रोज़ सुनता हूँ इतनी आवाजे
रोज़ सुनता हूँ मैं इतनी आवाजे
काश एक दिन एक सुबह
किसी आवाज़ को मेरी आवाज़ से प्यार हो जाए
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