Wednesday, May 7, 2008

3rd may closing poem

शाम थी तन्हा तन्हा
कल चिराग कुछ बुझे हुए
मेरे दिल कि किताब पे कुछ तेरे प्यार के लब्ज़
बड़े प्यार से लिखे हुए
ख्वाब हैं धुआं धुआं होश भी गुम हुआ
(ऐसा आपके साथ भी होता होगा ना जब कोई बहुत प्यार से देखता होगा )
कि ख्वाब हैं धुआं धुआं होश भी गुम हुआ
पलको के पर्दों के पीछे हया के सागर छुपे हुए
तेरी याद हैं जहाँ जहाँ
(ज़रा ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
तेरी याद हैं जहाँ जहाँ
दिल मेरा वहाँ वहाँ
तेरी याद हैं जहाँ जहाँ
दिल मेरा वहाँ वहाँ

मेरी आरजू के आँगन मे
मेरे प्यार का गुल खिला हुआ
इंतज़ार की इन्तेहा हैं ये
(बड़ा कमाल का हैं ये इंतज़ार कभी तो इंतज़ार करने के बाद कोई आपसे मिलने चला आए तो ये इंतज़ार ख़त्म हो जाता हैं और कभी ये होता हैं पूरी ज़िंदगी का इंतज़ार आप ये भी नही जानते कि किस बात कि सज़ा कोई आपको हमेशा के लिए देने वाला हैं हमेशा इंतज़ार कराने वाला हैं कहते हैं ना कि )
इंतज़ार की इन्तेहा हैं ये
ये दर्द दिल मे घुला हुआ
शिकायते आंखों मे हैं
पर मेरा होठ ना जाने कबसे सिला हुआ

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