कसूर ना उनका था ना हमारा
हम दोनों को ही ना आया रिश्तो को निभाना
कसूर ना उनका था ना हमारा
हम दोनों को ही ना आया ये रिश्तो को निभाना
वो चुप्पी का अहसास जताते रहे
हम मोहब्बत को अपने दिल मे छुपाते रहे
प्यार मन ही मन करते रहे
(बड़ा कमल का हैं ये प्यार )
कि प्यार मन ही मन करते रहे
पर फिर भी ना जाने क्यों उस प्यार को
सारी दुनिया से छुपाते रहे
जब देखते थे किसी सागर को उफनते हुए
(याद हैं ना वो दिन जब ऐसा कुछ देखा था आपने )
कि जब देखते थे किसी सागर को उफनते हुए
टैब एक दूसरे का हाथ थाम लेते थे
जब रोशनी धुंधली होती थी बारिश के बाद
आंसू अपने मन ही मन बाँध लेते थे
मुझे आया ही नही तुझे मानना
प्यार से तेरे पास बैठना
तुझे प्यार से रोकना
ये दुनिया हैं मेरे दोस्त
ये दुनिया हैं मेरे दोस्त
रोज़ किसी का यह आना
और एक दिन किसी को छोड़कर चले जाना
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