Thursday, May 8, 2008

7th may opening poem

हम हंसते हैं तो वो समझाते हैं हमे आदत हैं मुस्कुराने की
लेकिन वो नादान क्या जाने ये भी एक अदा हैं गम छुपाने की
कभी हमसे पूछा करो कि हमपे क्या बीती हैं
(बहुत बार ऐसा आपके साथ भी होता होगा ना )
कभी हमसे पूछा करो कि हमपे क्या बीती हैं
क्यों आंसू छुपा कर हम हंसा करते हैं
वैसे मन ही मन रोया करते हैं
क्या कहे मोहब्बत
हम तुझसे कितना प्यार करते हैं
(ध्यान से सुनियेगा )
बारिश आते ही हम भुट्टो का इंतज़ार करते हैं
कि बारिश आते ही हम भुट्टो का इंतज़ार करते हैं
अकेले ही पाल पर टहल कर अपना दिल बहलाया करते हैं
चांदनी रातो मे सारा जहाँ सोया करता हैं
लेकिन हम किसी के इंतज़ार मे पूरी रात जागा करते हैं
जब भी किसी को अपने करीब पाया हैं
सच कहू तु बहुत याद आया हैं
लोग क्यों दोष देते हैं उन फूलों को
कि लोग क्यों दोष देते हैं उन फूलों को
इस दीवाने को तो एक कांटे पर प्यार आया हैं
लोग उस फूल के सजाने सँवारने पर भी पाबन्दी लगा देते हैं
लोग उस फूल के सजाने सँवारने पर भी पाबन्दी लगा देते हैं
हम क्या करे हमे तो सारे शहर मे
एक सीधा सादा गुलाब पसंद आया हैं
हमे हंसते रहने की आदत तो नही
मगर क्या करे
ऐसे ही हंसते हंसते देखा किसी को
तो उस पर बहुत प्यार आया हैं

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