Wednesday, May 7, 2008

2nd may opening poem

तेरे बारे मे क्या कहू जो भी कहू वो कम कहू
तेरी आंखों की वो आंखें
(आंखों की आंखें )
कि तेरी आंखों की वो आंखें
जिसमे मैं रहता हूँ क्या बात हैं
जब भी झपके तो दीवानों का बुरा हाल हैं
वाह क्या बात हैं
तेरे बारे मे क्या कहू जो भी कहू कम कहू
तेरी हँसी से तो हर एक की रौनक हैं
तो तेरी बातो से सबका दिल बहलाता हैं
बस कमबख्त एक मेरा ही दिल धड़कता हैं
तेरी हँसी से हर एक कि रौनक हैं
तो तेरी बातो से सबका दिल बहलाता हैं
एक मेरा ही धड़कता हैं
अगर कभी तु खामोश या उदास रहे
तो हर एक के दिल मे दर्द सा रहता हैं
तु हैं शौख चंचल पानी सी
तो कभी आईने के समान चुप चुप सी
तेरी बातें आजकल चाँद सितारों के दरबार मे होती हैं
तेरी बातें आजकल चाँद सितारों के दरबार मे होती हैं
हर रात सब खिड़की पे आ खड़े होते हैं जब तु चुपके से सोती हैं
चाँद ने भी एक parler का पता हमसे पूछा
(inferiority complex हो गया चाँद को )
कि चाँद ने भी एक पर्लेर का पता हमसे पूछा हैं
कैसे सुंदर लगे वो तुमसे
यही बात उसके दिल मे चलती रहती हैं
चमकना भूल गया पर वक्त पर आना याद रहा
पर तु कहा सुंदर लग्न चाहती हैं
तु तो बस हर दिल मे बसना चाहती हैं
रहोगी मेरे इस दिल मे हमेशा हमेशा
चाहे हम कुछ कहे तेरे बारे मे या ना कहे
यही तो कि तेरे बारे मे क्या कहू
जो भी कहू कुछ कम कहू


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