मेरी ये चाहत थी कि तुम हमारी ज़िंदगी मे आओ
लेकिन ये हो ना सका
और अब हम अपनी तकदीर पे रोते हैं
नींद तो आती नही रातो को लेकिन
ये नींद तो हमे आती नही रातो को लेकिन
फिर भी शायद कहीं से तु मेरे ख्वाबो मे चला आये
इसी उम्मीद से तकिये मे मुह डाल के हम हर रात सोते हैं
याद ना करोगे तो भुला भी ना सकोगे
(बहुत मुश्किल हैं अंकित को भुलाना )
कि याद ना करोगे तो भुला भी ना सकोगे
मेरा ख्याल जेहन से मिटा भी ना सकोगे
एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे
कि एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे
मेरी कसम ज़िंदगी भर मुस्कुरा ना सकोगे
वो dhundhate हैं मुझे डगर डगर
(कि मैं जहा जाता हूँ बस ऐसा लगता हैं कि अरे इस मोड़ पे कहीं तुम तो नही उस मोड़ पे कहीं तुम तो नही )
कि वो dhundhate हैं मुझे डगर डगर
पर कहाँ आती हो तुम नज़र
मेरी नज़र हर पल बस तुझे धुन्धाती जाती हैं
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