Friday, May 9, 2008

9th may closing poem

मेरी चाहत से रोशन तेरी हर रात हो
मेरे दिल मे सिर्फ़ तेरे प्यार ही प्यार हो
मेरी चाहत से रोशन तेरी हर बात हो
मेरे दिल मे सिर्फ़ तेरे ही तेरे प्यार हो
तन्हाइयो मे भी तेरी हर बात मेरी धड़कन मे सुने दे
इस कदर तेरे लिए हर पल मेरे ज़ज्बात हो
हवा बनकर तुझे मैं छू जाऊ
आस्मान बनकर तेरा साथ पा जाऊ
(मन करता हैं ना हमेशा उसके साथ रहने का )
तेरी ज़िंदगी मेरे अहसास बनकर तेरे साथ चलती जाए
धुन कोई सी भी बजे हवा जन भी चले बस तेरी याद मेरे साथ चले
मेरी चाहत मे तुझे दीवाना कर दु
मेरी चाहत मे तुझे दीवाना कर दु
बात सही निकले या ग़लत तेरे मुह से
सर झुककर चुपके से मैं बस हामी भर दु
तन्हाइयो मे भी मेरी धड़कन सिर्फ़ तेरा नाम ले
इस कदर मेरी ज़िंदगी तेरे साथ चलती चले चलती चले चलती चले

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