Thursday, May 8, 2008

6th may opening poem

ज़माना कहता हैं कि लड़किया बेवफा होती हैं
और हम कहते हैं कि लड़किया बेवफा नही होती
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
वो तो मजबूरियों मे लिपटी रहती हैं
अपने शिद्दत भरे ख्यालो मे हमेशा उलझी रहती हैं
अपने अंदर छुपी एक औरत को पुरी ज़िंदगी सम्हाल कर रखती हैं
और उस औरत से वो हमेशा डरा करती हैं
कौन कहता हैं कि लड़किया बेवफा होती हैं
ना वो जीती हैं ना वो मरती हैं
पर सच प्यार बड़ा करती हैं
ना वो जीती हैं ना वो मरती हैं
पर सच वो प्यार बड़ा करती हैं

अपने रीति और रिवाजों से
दिल मे आने वाले अपने हर ख्याल से
ज़रूरत मे खिले गुलाबो से
दिल के बंद ज़ज्बातो से
प्यार बड़ा करती हैं
प्यार करती हैं और छुपाती हैं
(कई बार मोहब्बत मे ऐसा होता होगा कि आपका महबूब आपसे कभी कुछ कह नही पाता होगा बड़ा बुरा लगता हैं मगर सुनियेगा ध्यान से )
प्यार करती हैं और हर बात छुपाती हैं
बताने वाली बातें भी वो हमसे वो कहाँ बता पाती हैं
अपने प्यार से अपने साए से
अपने रिश्तो से दिल की धडकनों से
अपनी ख्वाहिशों से अपनी खुशियों से
अपनी हर खुशी हम पर कुर्बान कर जाती हैं
यही लड़किया होती हैं
हाँ लड़किया प्यार होती हैं मोहब्बत होती हैं
कुछ मजबुरिया हो तभी वो बेवफा होती हैं
ज़माना कहता हैं कि लड़किया बेवफा होती हैं
पर अंकित कहता हैं कि लड़किया बेवफा नही होती

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