Thursday, May 15, 2008

15th may opening poem

ऐ खुदा मेरे आज तक तुने मुझे बहुत कुछ दिया
आज एक रहमत मुझ पर और कर दे
झोली मेरे यार की तु प्यार से भर दे
उम्र भर कुछ और ना मंगुन्गा
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
कि उम्र भर कुछ और ना मंगुन्गा
बस सारी खुशिया मेरी तु मेरे यार के नाम कर दे
जब तक हैं ज़िंदगी वो मेरे साथ रहे
जब तक हैं ज़िंदगी वो मेरे साथ रहे
मरते वक्त बस मेरी साँसों मे उसका नाम रहे
सात जन्मों का साथ तो सब ही माँगते हैं
(लगता हैं ना कि कोई हमारे साथ रहे सात जन्मों तक )
सात जन्मों का साथ तो सब ही माँगते हैं
हैं कायनात जब तक बस टैब तक तु उसे मेरे साथ कर दे
कसक सी होती हैं दिल मे जब याद आती हैं वो
कसक सी होती हैं दिल मे जब याद आती हैं वो
शाम क पहलू मे नदी किनारे कभी कभी मिलने आती हैं वो
हर मुलाकात मेरी तु उसके साथ लिख दे
हर मुलाकात मेरी तु उसके साथ लिख दे
मुझे कैसे भी तु उसकी तकदीर लिख दे
पन्ने कोरे ना मिले खुदा तुझे तो
(खुदा के पास कहाँ पन्ने मिलते हैं )
कि पन्ने कोरे ना मिले खुदा तुझे तो
मेरी जिंदगी के पन्ने पर उसकी ज़िंदगी की हर बात लिख दे

1 comment:

Unknown said...

1 day god asked me ,4 how long u need this lovely friend along with u . I just dropped a single drop of water in to an ocean and told untill u find this.