Wednesday, September 10, 2008

10th september closing poem

दो दिल जहाँ मिलेंगे बरसात तो हो ही जायेगी
पहली ही मुलाक़ात मे कुछ बात
आँखों आँखों मे ही सही पर हो ही जायेगी
सताएगी तेरी याद बाद मे
पर तेरी यादो से एक मुलाक़ात तो हो ही जायेगी
चेहरा दिखाई देगा मन बनाएगा कई परछाईया
फिर भी मिलके छुप छुप के दूर मंजिल
नज़र तो आ ही जायेगी
शहर के कुछ लोगो ने ना विश्वास किया था मेरे फैसले पर
(अरे नहीं नहीं ये नहीं होगा ये possible नहीं हैं वो possible नहीं हैं ये मत करो वो मत करो । वो करो जो दिल कहता हैं उदयपुर )
शहर के कुछ लोगो ने ना विश्वास किया था मेरे फैसले पर
एक दिन देखना तेरी ये प्यार कि दुआएं
सबका सर झुकायेगी
हंसी उडाते हैं बातें बनाते हैं
सच कहू ऐसे लोग अपनी लाइफ मे
कभी कुछ नहीं बन पाते हैं
बस भरोसा खुद पर रखो
और अपने सपनो से मोहब्बत करो
हर जुबां पे रहो ऐसा काम करो
काम करो नाम करो

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