Wednesday, September 17, 2008

18th september closing poem

तू खुश रहे तो मैं मुस्कुराऊंगा
कहीं भी रहे तू तुझे भूल ना पाउँगा
मेरे गम का तू दर्द न लेना
तेरे इस दर्द मे भी मैं सुकून पाऊंगा
जा जाके खो जा तू उन हसीं वादियों मे
(कभी लड़ाई होती हैं तो वो कहती होगी न मैं चली जाउंगी,मैं चली जाउंगी ,मैं चली जाउंगी )
कि जा जाके खो जा तू उन हसीं वादियों मे
दीवाना हूँ तेरा तुझे कहीं से भी ढूंढ़ लाऊंगा
तू खुश रहे तो मैं जी पाऊंगा
सच तेरे हर दर्द मे सुकून पाऊंगा
जा चली जा दूर तू इस घने कोहरे से
खुले आसमा मे सारे शहर मे मैं तो तेरा ही गीत गाऊंगा
रिश्ता मुझसे सोच समझ कर रखना
(वो ऐसा हैं वो वैसा हैं उसके लिए लोग ये कहते हैं अच्छा नही हैं बुरा हैं काफी सारे लोग होते हैं जो पंचायती करते हैं )
कि रिश्ता मुझसे सोच समझ कर रखना
थोड़ा सा बदनाम मैं
पर तुझे बदनाम न कर पाऊंगा
कोई पूछे मेरा नाम तो मना कर देना मेरे नाम से
वरना ये दीवाना दीवाना हैं
मोहब्बत का परवाना हैं
मैं अपनी मोहब्बत पर कभी न दाग लगाऊंगा

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