ज़िन्दगी को ना बना ले वो सज़ा मेरे बाद
हौंसला उन्हें देना खुदा मेरे बाद
क्यूंकि वो आजकल लिखने लगी हैं मेरा नाम
तेरे नाम के बाद
कौन घूँघट को उठाएगा उसे चाँद कहकर
कौन करेगा वफ़ा की बातें मेरे बाद
आजकल खाने की थाली भी उससे नाराज़ सी रहती हैं
वो अब खाना भी खाती हैं मेरे खाने के बाद
फ़िर ज़माने मे मोहब्बत की कोई परछाई न होगी
भले ही ये सूरज रोज़ निकलेगा
मगर फ़िर भी प्यार करने वालो की दास्तान न होंगी
ए खुदा उसका बहुत ध्यान रखना मेरे जाने के बाद
रोएगी मोहब्बत भी सिसकिया ले लेकर
पढ़ाएगी बेवफाई वफ़ा का पाठ एक दिन
देखना मेरे जाने के बाद
No comments:
Post a Comment