Tuesday, September 9, 2008

6th september closing poem

एक नज़र देख कर हम जान गए
आप क्या हैं हमारे लिए ये पहचान गए
फिर भी जिंदा हु ये अजब बात हैं
जाने कब से लेकर वो मेरी जान गए
तुम तो आये थे मिलने किसी और से
तुझे देखने के बाद हम दिल से गए ईमान से गए
तेरी अदा करती तुझे दुनिया से जुदा
तेरी वो बालो की लटे
वो तेरा नज़रे झुका झुका कर बार बार बात करना
जो कहना वाही कहना
जो ना कहना वो भी नजरो से कहना
जिस रास्ते पर फ़रिश्ते भी ना पहुंचे
तुझे देखने के बाद सच मच मैं वहा पहुँच गया
सच लोग अब तक पागल कहते थे
उन्हें दीवाना कहने का मौका तुने दिया

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