आंखों से कहो खामोश रहे
सारी बातें मुझे बिन बोले समझ आती हैं
मैं वैसे ही कहा चुप रहता हूँ
ऐसे ना देखो परेशानियों का ये सबब दे जाती हैं
तुम्हे जिद हैं कि मैं कह दू
मुझे जिद हैं कि तुम कह दो
पर मोहब्बत कहा मोहताज़ हैं लफ्जों की
मोहब्बत तो हमारी धडकनों मे हैं शामिल
मेरी आंखों मे पलता वो हसीं जज्बा
जिसे सवाय मेरे कोई और समझ ना पाया
ना इस मोहब्बत की कोई सूरत हैं
ना कमबख्त इसका हैं कोई पैमाना
बस मोहब्बत का दुश्मन ये सारा ज़माना
मैं जानता हूँ अब मेरे बारे मे हर कहीं बात होती हैं
(वो ऐसा हैं वो वैसा हैं ऐसा ही हैं वैसा हैं )
कि मैं जानता हूँ अब मेरे बारे मे हर कहीं बात होती हैं
कभी अच्छी तो कभी बुरी होती हैं
जो कहना जिसको कहे
बस तु हमेशा मेरे दिल मे रहे
क्यूंकि बातें हमेशा उनकी होती हैं
जो बातो के होते हैं लायक
बाकि ये शहर बखूबी जानता हैं
मोहब्बत मे कौन लायक और कौन नालायक
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