दिखने मे हो परी तुम
साफ़ हो दिल की तुम
हर रंग तुम पर खूब हैं जचता
पर जब पहने तु काला रंग
हाय ! कहाँ फिर तुझ सा कोई हैं दीखता
सीखे कोई सादगी तुमसे
सीखे कोई सुन्दरता तुमसे
सिखने को बहुत सी बातें तुमसे
पर सीखे कोई बोलते बोलते चुप्पी का मतलब तुमसे
सीखे कोई चुप्पी का मतलब
कि क्यों तुझे देखने की हर पल लगी रहती हैं दिल को तलब
सीखे कोई मेरे दिल का मतलब भी तुझसे
(मेरे दिल मे तेरे सिवा कोई रहता नहीं इसलिए )
सीखे कोई मेरे दिल का मतलब भी तुझसे
जबकि इस दिल मे तेरे सिवा रहता नहीं कोई
(पर पता नहीं उदयपुर ये परिया कहाँ रहती हैं )
पर पता नहीं ये परिया कहाँ रहती हैं
शायद मेरे घर से दूर पर
मेरे दिल के करीब रहती हैं
जहाँ कोई खुबसूरत अपनी सादगी का लिबास ओढे
हर पल बस यही कहती हैं कि मैं परी तुझसे बेइन्तहा प्यार करती हूँ
तेरी सोच मे तेरे शब्दों मे
अपने आप को ढूढने की कोशिश करती हूँ
मैं परी परी सी ना जाने कहाँ रहती हूँ
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