Tuesday, September 9, 2008

5th september opening poem

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इंतज़ार के मायने ना होते
चलो कुछ काम जानबूझ कर करती हैं वो
शायद हमारी तरह हमें थोडा सा प्यार करती हैं वो
ये थोडा प्यार ही बहुत सारीज़िन्दगी के लिए
मांगे हंस कर जान भी अपनी
ये दीवाना दे दे उसकी ख़ुशी के लिए

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