अब ना दावा काम आती हैं
ना काम आती हैं दुआ
शायद हम प्यार करने वालो को
उस खुदा से मिली हैं यही सजा
दिन मे नींद आती हैं
पर रात पता नहीं ये कहाँ चली जाती हैं
खुदा ने दीवानों को भी खूब दीवाना किया
मेरा दिल तो ले लिया पर
किसी ने मुझे अपना दिल ना दिया
खता मेरी इतनी कि उसे ख़त लिखने का वक़्त ज़िन्दगी देती नहीं
और वो मेरी इस बात को हलके मे लेती नहीं
मान वो तब जाती हैं जब busy होने के बाद भी
मेरे फ़ोन से उसके फ़ोन पे घंटी जाती हैं
सुन कर मोहब्बत की बातें मुझे रेडियो वाला कहती हैं
पर ये सच हैं कि इस रेडियो वाले को
चुप रहकर भी वो अपनी आँखों से ना जाने क्या क्या कहती हैं
वो बस कभी गुस्से मे ना दिख जाए मुझे
(यही एक दुआ हैं मेरी )
कमबख्त उस फूल वाले की दुकान भी
मेरे स्टूडियो से थोडी दूर लगी रहती हैं
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