Friday, September 26, 2008

25th september closing poem

किसके आंसू छुपे हैं फूलो में
चूमता हूँ तो मेरे होठ जलते हैं
एक दीवार वो भी शीशे की
कि दो बदन जब पास पास चलते हैं
नींद से मेरा ताल्लुक नही सदियों से
देखो तेरे ये ख्वाब आकर कैसे मेरी छत पे टहलते हैं
मेरे हाथो के निशां मिलेंगे कदमो तले तेरे
सेहरा की कड़ी धुप में जब तेरे पाँव जलते हैं

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