तेरे जाने के बाद क्या कहू क्या रह गया
बस मेरी साँसे चलती रही और नाम का मैं रह गया
लोग घूम घूम कर तेरे घर के चक्कर लगाते रहे
(गौर फरमाइयेगा मेरे वो सरे दोस्त जो किसी न किसी के घर के चक्कर लगाते हैं )
लोग घूम घूम कर तेरे घर के चक्कर लगाते रहे
और मेरी जेब मे बारिश मे धुला हुआ तेरा
अधुरा सा पता रह गया
वो मेरे सामने ही गया था मुझसे दूर
और मैं था की सड़क के एक तरफ़ बस उसे देखता रह गया
जूठ बोलने वाले कहीं से कहीं पहुँच गए
(नही नही वो यहाँ नही रहती,वो वहा रहती हैं पता नही हम नही जानते )
जूठ बोलने वाले कहीं से कहीं पहुँच गए
मैं बस सच बोलता बोलता इस और रह गया
आंधियो के इरादे उस दिन अच्छे तो न थे
न जाने इक दिया जलता कैसे रह गया
वो कुछ बातें होठो से बोलता था
और कुछ जाते जाते आंखों से कह गया
सच कहू तेरे जाने के बाद न जाने मेरे पास क्या रह गया
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