बारिश मे अपनी मुठ्ठी मे कुछ बूंदों को कैद करना ही प्यार हैं
वो रोज़ रात मेरे ख्वाब देखना ही प्यार हैं
वो हर बात तेरी हर बार दोहराना
शायद यही प्यार हैं
मेरे लिए कभी किसी से कुछ न सुनना
कोई करे ज्यादा तारीफ़ भी मेरी
तो उसे बस चुप चुप घुरना
कुछ कहना न कभी अपनी जुबां से
पर अपनी आंखों से दिल की हर बात बोलना
क्या यही प्यार हैं
अपनी किताबो मे छुपाकर मुझे ख़त लिखना
और मेरे लिखे कुछ ख़त कुछ अधूरी कविताओ को
छुप छुप कर पुरा करना क्या यही प्यार हैं
चिंता होती नही अपने exams की
बस मैं हर इम्तिहान मे जीतू
उस खुदा से बस यही दुआ करना
क्या यही प्यार हैं ???????
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