इक बार कहो तो कि मुझे याद किया
जितनी बार पानी बरसा उतना याद किया
(कल बहुत बारिश हुई न हमारे शहर में )
इक बार कहो तो कि मुझे याद किया
जितनी बार पानी बरसा उतना याद किया
याद तेरी तब आई जब बादलो ने अपनी आँखें सहलाई
या जब किसी ने बड़े प्यार से ली एक अंगडाई
ये तितलिया भी आजकल मेरे साथ वक्त नही बिताती
और न ये अब मुझे जुगनुओ का किस्सा सुनती
लगता उन्हें कि अब मैं दीवाना हो गया हूँ
काम के अलावा किसी और में खो गया हूँ
न अब मेरे दोस्त मुझे अपने घर बुलाते हैं
दीवाना किसी का कहकर चिढाते हैं
कोई परवाह नही मुझे इस ज़माने की
परवाह बस तेरे पास आने की
तितलियों के परो पर तेरी खुशियों के कुछ रंग सजाने की
परवाह उस बरसते बदल को मोहब्बत सिखाने की
No comments:
Post a Comment