तुम बिन मैंने जीवन सारा
कैसे गुज़ारा सोचो तुम
तुम संग सजना प्यार की बाज़ी
मैं क्यों हारा सोचो तुम
देकर अपना खून हैं सींचा
प्यार के गुलशन को लेकिन
(ऐसा होता होगा ना आपके साथ भी , किसी से बेइंतेहा मोहब्बत कर लो और वो मिले ही ना )
देकर अपना खून हैं सींचा
प्यार के गुलशन को लेकिन
सुख गई क्यों बहते बहते
वो प्यार की धारा सोचो तो
मेरी तरह से क्यों ना आख़िर कोई तुमसे प्यार करे
(कोई कर ही नही सकता जी जैसी मोहब्बत हम आपको करते हैं )
कि मेरी तरह से क्यों ना आख़िर कोई तुमसे प्यार करे
मेरी जगह पर तुम जो होते बोलो ज़रा क्या करते
बात इतनी सी लेकिन ये कही नही जाती
क्यों ऐसा ज़रा सोचो तो
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