कभी अपनी हँसी पे आता हैं गुसा
कभी सारे जहाँ को हँसाने को दिल चाहता हैं
कभी छुपा लेता हैं गमो को भी दिल किसी कोने मे
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता हैं
कभी रोता नही मन किसी भी बात पर
कभी यूँही आंसू बहाने को जी चाहता हैं
कभी लगता हैं अच्छा आकाश मे उड़ते परिंदों को देखना
कभी एक सागर की लहर से भी जी घबराता हैं
कभी उन बहती लहरों के साथ भागने का दिल करता हैं
तो कभी सागर किनारे किसी कोने मे बैठ किसी को याद करने को दिल करता हैं
कभी बेगाने अपने हो जाते हैं
कभी अपने बेगाने से नज़र आते हैं
कभी सपने देखने से भी दिल डरता हैं
और कभी सपनो के लिए जान देने को दिल करता हैं
(आप लोगो ने अपनी ज़िन्दगी मे जो भी सोचा हो , जिसके लिए भी आप सुबह उठने से रात सोन तक खूब सारी मेहनत करते हो चाहे वो आपका करियर हो चाहे वो आपका सपना हो चाहे शहर मे खूब सारा नाम कमाने का हो तो अंकित बस यही कहेगा की आप लोगो को god बिल्कुल इंतज़ार न कराये और जिस चीज़ का ख्वाब आप लोग देख कर उठते हैं वो आपको आज ही मिल जाए )
1 comment:
truely said... bhaia
written al true....
nice ...
कभी बेगाने अपने हो जाते हैं
कभी अपने बेगाने से नज़र आते हैं
कभी सपने देखने से भी दिल डरता हैं
और कभी सपनो के लिए जान देने को दिल करता हैं
thanx.....
Post a Comment