Saturday, April 12, 2008

10 th April closing poem

Link:- http://rapidshare.com/files/106851343/10_april_closing_poem.wav.html
Lyric :-
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तेरी याद थी जब तू मुझे याद आया
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तेरी याद थी जब तू मुझे याद आया
आज मुश्किल था संभालना दिल को
की बस तभी मेरे दिल मे एक ख्याल आया
बहोत टटोला मैंने बहोत ढूँढा मैंने मेरे दिल को
पर दिल की जगह कोई खूबसूरत परी सा नज़र आया
(ज़रा ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
बहोत टटोला मैंने बहोत ढूँढा मैंने अपने दिल को
पर दिल की जगह कोई खूबसूरत परी सा नज़र आया
हाल-ए-दिल हम भी सुनते लेकिन
हाल-ए-दिल हम भी सुनते लेकिन
जब वो रुखसत हुए हमे तब याद आया
दिन तो गुज़रा था बड़ी मुश्किल से जैसे ही सूरज ढला शाम आई
मुझे वो तेरा वादा याद आया
फिर कई लोग नज़र से गुज़रे
देखा जब किसी मासूम को मैंने तो मुझे न जाने कौन सा शेर याद आया
घर आजकल बहोत सुना सुना सा लगता हैं किसी के बिन
पर जब स्टूडियो और माइक को देखा
तो भैया भाभी , मानसी , प्रवीणजी, किरणजी, मनोजजी , नीलिमा ,केशवजी , देवेन्द्रजी
और आप सारे दोस्तो को याद करने का नया बहाना याद याद आया
मुझे अपना घर भी भरा भरा सा नज़र आया
जब उदयपुर आपका एक इन्ना सा पैगाम आया
मेरी बातो को तो अपने अपना बना लिया
मेरी टेंशंस में भी अब अपने माथे पर एक सल आया
मोहब्बत ने हमारी शायद घर बसा लिया होगा
शायद तभी इस अंकित पे सारे उदयपुर को अब इतना प्यार आया
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तेरी याद थी जब तू मुझे याद आया


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