एक प्यार से भरा दिल था
जिसके अरमानों को मैं पलको पर सजाया करता था
एक लड़की हैं शहर कि चुप चुप सी
जिससे मैं दिल लगाया करता था
एक प्यार से भरा दिल था
जिसके अरमानों को मैं पलको पर सजाया करता था
एक लड़की हैं शहर कि चुप चुप सी
जिससे मैं दिल लगाया करता था
एक चेहरा बनकर ख्यालो मे आता था
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर गर्दन हिलाना बंद करिये जी )
एक चेहरा बनकर खयालो मे आता था
फिर मैं उस चेहरे को भीड़ मे धुंधा करता था
वो अक्सर बनती रेत के महल साहिलो पर
(aapane भी तो कभी कहीं किसी किनारे पर बैठकर बहुत रेत के महल बनाये होंगे )
वो अक्सर बनती रेत के महल सहिलो पर
फिर मैं उसको उन महलो मे dhundha करता था
एक प्यार से भरा दिल था जिसके अरमानों को मैं पलको पर सजाया करता था
कई बार देखा उसे फूलों से बात करते
कई बार देखा उसे फूलों से बात करते
उनके कानो मे कुछ कहते कुछ करते
मैं उसकी हर बात अपने उन फूलों से पूछ लिया करता था
(बहुत बदमाश था मैं )
मैं उसकी हर बात अपने फूलों से पूछ लिया करता था
लिख कर हथेली पर वो नाम हमेशा मेरा काटती थी
(हथेली पर नाम लिखकर काटना मतलब हम बताना भी चाहते हैं और बता भी नही पाते )
कि लिख कर हथेली पर वो नाम हमेशा मेरा काटती thi
मैं अपनी लकीरों मे बस उसी को dhundha करता था
(अब ज़रा ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
शायद रेडियो पे कान लगाकर
या नींद मे लेते लेते
शायद रेडियो पे कान लगाकर
या नींद मे लेते लेते
सुनती होगी मेरी आवाज़ बस मेरा नाम लेते लेते
बस मोहब्बत ने ही जोड़ दिया अब दिल का हर अरमान
वो खुश रहे हमेशा
हमारी खुशी यही हमारी पहचान
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