Link :- http://rapidshare.com/files/106612112/7_april_closing_poem.wav.html
Lyric :-
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने मे
कि लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने मे
और तुम तरस भी नही खाते किसी का दिल दुखाने मे
हर धड़कते दिल को लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने मे
उसकी मज़बूरी ये कह भी नही सकती
उसकी मज़बूरी ये कह भी नही सकती
आज भी पूरा दिन लगाया मैंने सूखे फूल सजाने मे
तमाम रिश्तो को तो मैं रोज़ घर छोड़ आता हूँ
पर इन चार घंटो मे आपसे इतना प्यार पाता हूँ
कि कूच और याद नही कर पाता हूँ
बहुत अजीब हैं ये नजदीकीयो की दूरी
कि बहुत अजीब हैं ये नजदीकीयो की दूरी
कि आप मेरे पास भी रहते हैं
आप मुझे सुनाई भी देते हैं
पर आप मुझे दिखाई नही देते
No comments:
Post a Comment