Saturday, April 12, 2008

12th April closing poem

Link :- http://rapidshare.com/files/106902878/12_april_closing_poem.wav.html
Lyric :-
आज ये किसका पैगाम मेरे नाम आया हैं
( ज़रा ध्यान से सुनियेगा )
आज ये किसका पैगाम मेरे नाम आया हैं
एक ख़त बेनाम सा मेरे नाम आया हैं
लिखावट भी जानी सी हैं
बहुत पहचानी सी हैं
शायद ये किसी के दिल की हसरत का
एक जाम मेरे नाम आया हैं
तेरे हर अंदाज़ को सितम समझा
तेरे हर अंदाज़ को सितम समझा
तेरे हर सितम को जीतना जानता हूँ मैं
मुझे सताने के लिए तेरा ये नया बहाना
मेरे घर आया हैं
इंतज़ार मे काट दी जिनके हमने अपनी ज़िंदगी
देखिये वो मुझे मनाने भी किस वक्त आया हैं
वो आना मेरे पास उनका आना
वो आना और मेरे पास उनका आना
एक बंद लिफाफे मे
वाह ! दिल लुभाने का एक पुराना अंदाज़ लाया हैं
तुम्हारे ख़त मे वो आखिरी नाम किसका था
तुम्हारे ख़त मे वो आखिरी नाम किसका था
बेरुखी से कट गया था जो बस उस नाम का इल्जाम हम पर आया हैं
तुम्हारे शब्दों ने बयां कर दी तुम्हारी हकीक़त
बस यही की आज मोहब्बत को मोहब्बत का नाम याद आया हैं

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