Saturday, April 12, 2008

11th April baato-baato me

OPENING POEM :-
तेरी आंखों के आँसुओ की क्या कीमत वसूल करू मैं
(ज़रा ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
कि तेरी आंखों के आँसुओ की क्या कीमत वसूल करू मैं
तुझे रुलाने वाले के साथ क्या सलूक करू मैं
हैं तेरे अपने ही तेरे दुश्मन
वरना तेरा नाम लेने वालो कि हालत बुरी करू मैं
क्यों तेरे आंसू देख नही पता मैं
क्यों तेरे आंसू देख नही पता मैं
तू जो रो दे तो दुनिया को रुला दु मैं
तेरे ज़ख्म क्या मेरे ज़ख्म नही हैं
(महबूब कि हर चीज़ अपनी लगाती हैं उसके ज़ख्म भी )
कि तेरे ज़ख्म क्या मेरे ज़ख्म नही हैं
दिल करे तेरे हर ज़ख्म को अपने आँसुओ से पी लूँ मैं
दिल चाहे तुझे हर खुशी दिया करू मैं
दुनिया कि सारी नफरत को मोहब्बत मे बदल दु मैं
तेरी आंखों से आंसू निकले तो ना पूछ दिल पे क्या गुज़रती हैं
तेरी आंखों से आंसू निकले तो ना पूछ दिल पे क्या गुज़रती हैं
गुज़रती हैं गुज़रती हैं
ये साँसे बड़ी मुश्किल से निकलती हैं
LINK 1 :-
mp3 link :- http://rapidshare.com/files/106888873/tere_ye_aansu_link_2.wav.html
मेरे पहलू मे जो बैठे
बैठते ही निकल जाये तुम्हारे आंसू
बन गए शाम-ए-मुलाक़ात के
ना जाने कितने सितारे तुम्हारे आंसू
देख सकता हैं भला कौन ये पराये आंसू
मेरी आंखों मे ना आ जाये
तुम्हे याद करते करते कहीं ये आंसू
अपना चेहरा मेरे गिरेबान मे छुपाती क्यों हो

(जब महबूब गले लगकर रोता हैं हाय मत पूछिये क्या होता हैं )
अपना चेहरा मेरे गिरेबान मे छुपाती क्यों हो
दिल की धड़कन कोई सुन ना ले इसलिए रोती जाती हो

शमा का अक्स झलकता हैं
तेरे हर आंसू मे और रोते रोते सितारे बन गए तेरे आंसू
साफ इनकार ही कर देती
(hmmm...)
तू साफ इनकार ही कर देती अगर मोहब्बत नही थी
क्यों चुप रहकर बहाए तुने ये तेरे आंसू
हिज्र अभी दूर हैं मैं पास ह तेरे तो क्या हुआ
कि हिज्र अभी दूर हैं मैं पास हूँ तेरे तो क्या हुआ
क्यों मेरा चैन ले जाते हैं तेरी आँख से आते आंसू
सुबह दम देख ना ले कोई ये भीगा आँचल
(ज़रा ध्यान से सुनिएगा उदयपुर )
कि सुबह दम देख ना ले कोई ये भीगा आँचल
बहोत चुगली करते हैं कमबख्त ये तुम्हारे आंसू

Link 3 :-
ना जाने तुमपे इतना यकीं क्यों हैं

(ज़रा ध्यान से सुनियेगा )

ना जाने तुमपे इतना यकीं क्यों हैं

तेरा ख्याल भी कमबख्त इतना हसीं क्यों हैं

सुना हैं प्यार का दर्द मीठा होता हैं

सुना हैं कि प्यार का दर्द मीठा होता हैं

तो आँख से निकले मेरे ये आंसूं नमकीन क्यों हैं

Link :4

सभी को सबकुछ नही मिलता

सभी को सबकुछ नही मिलता

नदी कि हर लहर को ये साहिल नही मिलता

ये दिल वालो कि दुनिया हैं दोस्त

ये दिल वालो कि दुनिया हैं दोस्त

किसी से दिल लगाने से हर समय आंसू नही मिलता

Link - 5

शायद जिंदगी के सितम अभी और बाकी थे

(ज़रा ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )

शायद जिंदगी के सितम अभी और बाकी थे

जो मुझे तु नसीब ना हुआ

शायद किसी की मोहब्बत के वादे अभी बाकी थे

जो मुझे खुशी नसीब ना हुई

शायद किसी के पास मेरे लिए शिकायते बहुत थी

(महबूब को हर पल शिकायत रहती हैं भाई )

कि शायद किसी के पास मेरे लिए शिकायते बहुत थी

शायद इसीलिए मुझे किसी की शिकायते मालूम ना हुई

सोचा मैंने कि जब मैं उदास होऊ तो तुझे गले लगाकर फफक फफक के रो पडू

सोचा मैंने जब मैं उदास हूँ तो तुझे गले से लगाके फफक फफक के रो पडू

मगर शायद उस पल वक्त को हमारी हालत मंजूर ना हुई

Link - 6

दुखो से मैंने ज़िंदगी गुजारी

फिर भी खुश रहने की हर सज़ा कुबूल की मैंने

दुखो से मैंने ज़िंदगी गुजारी

फिर भी खुश रहने की सजा कुबूल की मैंने

दिल्लगी तो ना मुमकिन थी हमसे

फिर भी ज़िंदगी मे खुशियों को पनाह दी मैंने

दुख सहने कि आदत सी हो गयी थी मुझको

(ध्यान से सुनियेगा )

कि दुख सहने कि आदत सी हो गयी थी मुझको

इस दुख से फिर भी दोस्ती की मैंने

मेरे प्यार को दिल्लगी ही समझा कोई

(कि भाई हमने किसी से प्यार किया तो वो इसे दिल्लगी समझ बैठा )

कि मेरे प्यार को दिल्लगी ही समझा कोई

फिर भी एक उम्मीद से उम्मीद को मोहब्बत की मैंने

मेरी मोहब्बत कोई ना समझा

मेरे दुखो को वो शख्स सिर्फ बहाना समझा

मेरी मोहब्बत कोई ना समझा
मेरे दुखो को वो शख्स सिर्फ बहाना समझा

पर मेरी मोहब्बत हर दीवाना

सिर्फ दीवाना समझा

Closing poem :-

रात आधी खींच कर मेरी हथेली की उंगली

(ध्यान से सुनियेगा )

रात आधी खींच कर मेरी हथेली की उंगली

कहती हैं....सो गए क्या ??

फासला कुछ था हमारे बरिस्तो मे

और चारो और दुनिया सो रही थी

बस बातें ये मेरी आकाश से हो रही थी

(आकाश यानि बादलों की बात हो रही हैं )

बातें ये मेरी आकाश उस से हो रही थी

बातें दिल की दिल से हो रही थी

मैं तुम्हारे पास होकर भी दूर हुआ तो क्या

बस दूर हुआ जा रहा हूँ

तुझे शायद मेरी मोहब्बत इस पल भी बहुत याद आ रहा हूँ

तुम हो ऐसा लगा मुझे जब बाहर बिजली चमकी

तुम हो ऐसा लगा मुझे जब बाहर बिजली चमकी

मैं तुम्हे देखने बाहर भागा

तुम करवट कहीं बदलती रही

मैं सारी रात जागा

मैं लगा तुमको खोजने तुमको सोचने

पर कहाँ सपने सच होते हैं

पर कहाँ ये सपने सच होते हैं

तुम मुझे नज़र ना आई

बस बरबस ही मेरी ये आंखें उन बादलों पे ठहर आई

जब तुम्हें वहाँ देखा तो पाया तुमको

उन बादलों के पार

तब जाके मेरे दिल को चैन आया

आया आकर करवट बदली चादर तानी अपनी

आंखें बंद की तो तेरा चेहरा नज़र आया

अपने प्यार को अपनी बांहों मे जब लिया सच तु

बहुत याद आया

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