opening poem :-
Link :- http://rapidshare.com/files/106613622/7_april_baato_baato_me_opening.wav.html
Lyric :-
हमने प्यार से मोहब्बत करके देखा
हमने प्यार से मोहब्बत करके देखा
प्यार को चाहत की नज़रों से देखा
कभी प्यार को उलफत बना कर देखा
कभी प्यार को रुसवा करके देखा
पर प्यार ना तो दोस्ती हैं
वो शायद मोहबात हैं
वो ना तो चाहत हैं
पर शायद वो उलफत हैं
प्यार को दिलो की धड़कन कहते हैं
(कहते हैं ना ? कि जब दिल धड़कता भी हैं तो बस किसी और के लिए )
प्यार को दिलो की धड़कन कहते हैं
शायर की शायरी कहते हैं
प्यार को प्यार की दीवानगी कहते हैं
और हम प्यार की बात करने वाले
प्यार को बस इबादत कहते हैं
प्यार सचमुच इबादत हैं
प्यार हैं तो सचमुच इनायत हैं
प्यार से बंधा हैं हर एक इंसान
(हर कोई कहीं ना कहीं प्यार कई डोर से बंधा रहता हैं )
कि प्यार से बंधा हैं हर एक इंसान
और प्यार से ही महफूज़ ये जहाँ
(ये प्यार हाय !!!!!! )
प्यार जिसका ना कोई रंग ना कोई रूप
प्यार जिसकी ना कोई शक्ल ना वजूद
प्यार का ना कोई सपना ना कोई अपना
प्यार तो बस प्यार होता हैं
फिर भी हम जानते नही कि ये प्यार क्या होता हैं
link 2:- aankhein band karke bhi
आंखें बंद करहे भी हम तेरा दीदार करते हैं
आये सनम हम तो सिर्फ तुझसे प्यार करते हैं
लाख चाह कर भी मैं तुझे भुला नही सकता
(उम्महह !!!!)
कि लाख चाहकर भी मैं तुझे भुला नही सकता
सांस रहते तेरी तस्वीर आंखों के सामने से हटा नही सकता
आखिरी पल तक तू हो जा बेवफा
कि आखिरी पल तक तू हो जा बेवफा
तुझे याद करता हूँ
तेरी यादों मे किसी और को बसा नही सकता
link 3 :- aye kash kahin
ए काश कहीं ऐसा होता
ए काश कहीं ऐसा होता
मेरा घर तेरे घर के करीब होता
ए काश कहीं ऐसा होता
मेरा घर तेरे घर के करीब होता
तुझसे मिलने की आस तो नही होती
पर ये इंतज़ार का फासला थोडा सा काम होता !
link 4 :- dil mera suna suna
दिल मेरा सुना सुना
सुना लगे मुझे अपना प्यार
आंखों मे भी एक सूनापन
किसका हैं ये इंतज़ार
अध्लेते हम लिखते हैं
दिल कि बातें कागज़ पर
लिखते हैं तेरा नाम
फिर क्यों ख़त्म नही होता
ये किसका इंतज़ार
link 5 :- pyaar
वो लम्हे हमे याद ना रहे तो क्या होगा
(जब किसी के साथ कोई वक्त बहुत अच्छा सा बीत जाता हैं तो उस वक्त के दूर जाने का डर लगा रहता हैं )
कि वो लम्हे हमे याद ना राहे तो क्या होगा
तेरे सिवा हमारे पास कोई बात ना राहे तो क्या होगा
ऐसी हैं ये मेरे दिल कि धड़कने कि तुझे क्या बताऊ
कि ऐसी हैं ये मेरे दिल कि धड़कने कि तुझे क्या बताऊ
हर साँसों के बाद बस मेरी सांस तेरा ही नाम रहे तो क्या होगा
दुआओं कई भीड़ मे एक दुआ हमारी भी
(हम बहुत दुआएं करते हैं सबके लिए )
कि दुआओं कई भीड़ मे एक दुआ हमारी भी
जिसने जो माँगा खुदा से
ए खुद मुझे कुछ दे ना दे उनको वो सब दे दे
जो वो चाहते हैं जो वो माँगते हैं
जो वो पाना चाहते हैं
शायद यही प्यार होता हैं
Link 6 :- Intezaar
बिस्तर की सलवटे कह रही हैं
मेरी बैचैनियो की कहानी
बिस्तर की सलवटे कह रही
मेरी बैचैनियो की कहानी
तकिये कि नमी से लगता हैं
रात भर रोती रही दीवानी
तन्हाँ रातें तन्हाँ जीवन
चारो और तन्हाई
उजली तकती आंखें
कह रही अपनी व्यथा कि कहानी
(ऐसा होता हैं जब हम किसी का इंतज़ार करते हैं कमबख्त ये वक्त कटता ही नही )
तीन महीने पहले शायद
थोडी सी मुस्कुरायी थी
जब पड़ोस की एक चिठ्ठी
गलती से उसके घर चली आई थी
हालांकि लिफाफे पर पता देखते ही
मुस्कराहट उड़ गयी
फिर चिठ्ठी के इंतज़ार मे उसके बाद
वो कुछ दिन कहाँ चैन से सो सकी थी
दिन भर आँगन मे बैठकर सड़क को तकते रहना
(ये महबूब का इंतज़ार कमाल होता हैं )
कि दिन भर आँगन मे बैठकर सड़क को तकते रहना
और रात भर आंखों से आंसुओं का बहते रहना
अगर कभी नींद जग जाये तो अचानक घबरा कर उठ जाना
अगर कभी ये नींद जग जाये तो अचानक घबरा कर उठ जाना
और दौड़कर खिड़की से बाहर सड़क को देखकर आना
(ऐसा होता हैं जब हम अपने महबूब का इंतज़ार करते हैं वक्त कटता ही नही कटता ही नही यूं तो इस संसार मे किसी को जीते जी चैन नही मिलाता पर काश इस संसार मे किसी को ये ऐसा इंतज़ार ना मिलता )
पत्थर की सड़क को तकते तकते आंखें पथरा जाना
पत्थर की सड़क को तकते तकते ये आंखें पथरा जाना
ये ऐसा इंतज़ार मेरे खुदा किसी कि ज़िंदगी मे ना लाना
Link 7 :-
लहरों को ये पता हैं कि किनारे से मिलकर वो बह जाएँगी
(सब पता हैं लहरों को .... )
लहरों को ये पता हैं कि किनारे से मिलकर वो बह जाएँगीजानती हैं वो समंदर मे जाने के बाद खो जायेंगी
अपने अस्तित्व को दांव पर लगाकर
क्यों लहरों को फिर भी वो किनारा भाता हैं
क्या पता क्या यही प्यार कहलाता हैं
परवाना क्यों शमा के चारो और मंडराता हैं
उसको शमा मे ऐसा क्या भाता हैं
कि जानता हैं आग हैं सामने फिर भी
उसी कीऔर बस खिंचा चला जाता हैं
क्या यही प्यार कहलाता हैं
मोम सबकुछ जानकर भी बाती को
अपने दिल मे बसा लेता हैं
और बाती के साथ वो खुद बस
पिघलती जाती हैं , जलती जाती हैं
कोई नहीं जानता उसका उस बाती से क्या नाता हैं
क्या यही प्यार कहलाता हैं
अंकित को तो हर प्यार करने वाला
बडा प्यारा नज़र अत हैं
और ये अंकित कहाँ आजकल प्यार की बातें समझ पाता हैं
क्या यही प्यार कहलाता हैं ?
Link 8 :-
प्यार के नाम कोई दवा ना दुआ काम आये
कि प्यार के नाम कोई दवा ना दुआ काम आये
ऐसी आग लग जाये पानी मे कि कमबख्त कोई ना बुझा पाए
हम आज भी रोते हुए हंसने लगते हैं तुझे याद करके
हम आज भी रोते हुए हंसने लगते हैं तुझे याद करके
शहर बदल दीजिये सच हम आपको फिर भी पल पल याद आये
Link 9 :-
उनकी याद के बिना एक सांस भी अब तो हमे गुनाह सी लगती हैं
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
उनकी याद के बिना एक सांस भी अब तो हमे गुनाह सी लगती हैं
उनके गमो को हमारी आंखों मे पनाह मिलती हैं
उनके बिना जब ज़िंदगी को
कि उनके बिना जब ज़िंदगी को कोई बेनाम ही बताता हैं
सच उदयपुर यही प्यार कहलाता हैं
Link 10 :-
तुम बिन ज़िंदगी सजा सी हो गयी हैं
तेरे इंतज़ार मे इस कदर खो गयी हैं
तुम आ जाओ वापिस ये गुज़ारिश हैं मेरी
तुम आ जाओ वापिस ये गुज़ारिश हैं मेरी
मुझे तुम्हारी अब आदत सी हो गयी हैं
Link 11 :-
वैसे ये दिल बेकरार नहीं पर हमारे दिल को करार नही
(पता नही क्यों नहीं )
वैसे ये दिल बेकरार नही पर हमारे दिल को करार नही
चाहा हैं आपको अपनी जान से ज्यादा
कि चाहा हैं आपको हमने अपनी जान से ज्यादा
पर हमे आपका इंतज़ार
(महबूब जब रूठ जाता हैं तो हम ऐसा ही कहते हैं )
इस दिल कि आग को बुझाये कैसे
नींद नही चैन नही ये हमारी आंखों का कसूर नही
नींद नही चैन नही ये हमारी आंखों का कसूर नही
धड़कने हर धड़कन के साथ
तेरा नाम ना सुझाये तो क्या सुझाये
ये इंतज़ार कि बात क्यों मेरी हर सांस के साथ
मेरी वफ़ा का इम्तिहान लेती जाये
आये खुदा मेरे कुछ ऐसा कर दे
आये खुदा मेरे कुछ ऐसा कर दे
वो कहीं हो मेरा इंतज़ार सिर्फ उसके नाम कर दे
Link-12
क्यों बारिश कि ये बूंदे धरती को मिलने की चाह मे इतना इतराती हैं
(जब महबूब किसी के लिए तैयार होता हैं तो बहुत इतराता हैं )
क्यों बारिश कि ये बूंदे धरती को मिलने की चाह मे इतना इतराती हैं
खुद को मिटा के वो बस धरती मे बस जाती हैं
खुद को धरती का हवाला देकर
खुद को धरती का हवाला देकर
ये सावन भी ना जाने क्या पता हैं
क्या यही प्यार कहलाता हैं
पता नही उदयपुर प्यार की बात होते ही
ना जाने मेरा चेहरा क्यों खिल जाता हैं
closing poem of baato-baato me:-
link :- http://rapidshare.com/files/106637164/Ye_tere_hath_me.wav.html
Lyric :-
ये तेरे हाथ मे पत्थर हैं या फूल हैं
ये तेरे हाथ मे पत्थर हैं या फूल हैं
जब तू मुझे कुबूल तो तेरा हर अंदाज़ भी कुबूल हैं
तू दिल पे बोझ लेके मुझसे मिलने तो आ
(महबूब परेशान होता हैं तो मिलता नही की किसी की आंखें किसी को सब कुछ कह देगी)
कि तू दिल पे बोझ लेके ही सही हमसे मिलने तो आ
मिलना हैं कुछ देर का
हमे तेरा बिछड़ना भी कुबूल हैं
मैं नही जानता की ये मुलाक़ात क्यों इतनी सी होती हैं
रोज़ वक्त से लड़ना चाहता हूँ
पर फिर भी दूरी सी होती हैं
तु आ तो सही एक बार अपनी सूरत तो दिखा जा तु
चल मेरा दिल ना लौटा अपना दिल तो दिखा जा
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