Monday, April 21, 2008

21st april opening and closing poem

हम चले जायेंगे रह जाएँगी हमारी यादें
हम चले जायेंगे रह जाएँगी हमारी यादें
तुम याद करो ना करो
फिर भी हर पल आएगी ये हमारी यादे
याद करो मन से तो प्यारी सी याद बन कर आयेगी
कि याद करो मन से तो प्यारी सी याद बन कर आयेगी
आपकी उस प्यारी हँसी मे थोड़ा सा हम भी मुस्कुराएंगे
ये यादें जो मिटाई नही जा सकती
(बड़ी कमाल की होती हैं ये यादें )
ये यादें जो मिटाई नही जा सकती
जो कभी भुलाई नही जा सकती
जो इस दिल के करीब हैं उसके पास दौड़कर
ना जाने कहाँ से चली जाती हैं ये हमारी यादें
ये तो वो हवा का झोंका हैं
(ध्यान से सुनियेगा उदयपुर )
कि ये तो वो हवा का झोंका हैं
जो छुते ही आंखें नम कर जाए
बहे पास पास से पर नज़र एक पल को ना आए
आप भूल जाओ
आप भूल जाओ हमे गैर समझ कर
मगर आपको वफ़ा समझाएगी मेरी याद
कहती हैं दुनिया बहुत बेपरवाह हूँ मैं
(ऐसा सब कहते हैं कि थोड़े बेपरवाह हो आप अंकित कुछ याद नही रहता कोई वादा नही निभाते बस क्यों )
कि कहती हैं दुनिया बहुत बेपरवाह हूँ मैं
पर मेरी परवाह करना तुमको सिखायेगी मेरी याद
तेरे हर अच्छे बुरे पल मे तो मैं साथ रह नही सकता
तेरे हर अच्छे बुरे पल मे तो मैं साथ रह नही सकता
पर मेरे हर पल तेरे पास होने का अहसास कराएगी मेरी याद

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