Friday, April 11, 2008

8 April opening poem

Link :- http://rapidshare.com/files/106638095/8_april_opening.wav.html
Lyric :-
बीते लम्हे क्यों हर पल याद आते हैं
ये बीते लम्हे क्यों हर पल याद आते हैं
याद आकर फिर हमे क्यों इस तरह सताते हैं
क्यों एक इंसान ऐसी छाप छोड़ जाता हैं
क्यों एक इंसान ऐसी छाप छोड़ जाता हैं
जो चाहकर भी ये दिल कहाँ मिटा पता हैं
क्यों ये आंसू थामने का नाम नही लेते
(जब कोई बहुत याद अत हैं तब ऐसा होता हैं )
कि क्यों ये आंसू थामने का नाम नही लेते
एक अजनबी की राह को ना जाने क्यों तकते रहते हैं
क्यों ये दिल बस एक जिद करे बैठा हैं
क्यों ये दिल बाद एक जिद करे बैठा हैं
उस बेवफा से प्यार कि आस लगाये बैठा हैं
ये मौसम क्यों इतना हसीं होता जा रहा हैं
(जब किसी कि याद आती हैं तो अचानक ये मौसम बदलने लगता हैं )
ये मौसम क्यों इतना हसीं होता जा रहा हैं
क्यों दर्द से हर पला ये प्यार मेरी अब जान लेता जा रहा हैं
हर धड़कन एक फरियाद कर जाती हैं
हर धड़कन एक फरियाद कर जाती हैं
आंखें बंद हो तो जन्नत
खुलने पर ये सौ सवाल दे जाती हैं
ये बीते लम्हे सबकी ज़िंदगी मे आते हैं
कभी अच्छी कभी बुरी यादें दे जाते हैं
पर आप मुझे आज भी क्यों मेरे घर की सीढियों मे नज़र आते हैं
पर आप मुझे आज भी ना जाने क्यों मेरे घर की सीढियों मे नज़र आते हैं
हाँ ये प्यार ही हैं शायद
हाँ ये प्यार ही हैं शायद
कि हम चाहकर भी तुझसे कुछ ना कह पाते
बस ये बीते लम्हे याद आते हैं

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