तेरी सूरत आंखों से कही गई नही
इसीलिए हमने ग़ज़ल कोई कभी गई नही
सोने की बहुत सी वजह थी मेरे पास
(थक जाते हैं न काम करते करते तो बहुत सारी वजह होती हैं )
सोने की बहुत सी वजह थी मेरे पास
पर पता नही क्यों कल रात नींद मुझे आई नही
निभ गई बस जब तलक निभ गई
(ऐसा आपके साथ भी होता होगा न कि किसी को जो कह दिया वो कह दिया )
निभ गई जब तलक बस निभ गई
इस दीवाने ने किसी के साथ पुरी जिंदगी निभाने की कसम खायी नही
जब मिले वो तो यूँ मिले कि बस वो ही वो हो हर तरफ़
हर जगह हमने मोहब्बत को ढूंढने की कोई कसम कभी खायी नही
बेबसी इंतज़ार और तेरा प्यार हर वक्त
शायद चौबीस घंटो में इसीलिए तेरी याद आई नही
बस सुन लो मेरे दिल की वो ख़बर ए उदयपुर
ये दिल की ख़बर अब किसी अखबार में आई नही
हमने उसे अपना दिल देने का वादा किया
और वो kambakht पिछले कई दिनों से नज़र हमे आई नही
हर वादे पर हम अपनी जान भी दे दे उसे
हर वादे पर वो निसार
मगर वो हमसे मिलने आई नही
No comments:
Post a Comment