कुछ दिनों से लिखना बंद सा हैं
कुछ दिनों से ये दिल का धडकना कुछ मंद सा हैं
तू मुझे रुलाकर जब मुझसे लिपटता हैं
(किसी के गले लगकर बहुत सुकून मिलता हैं )
तू मुझे रुलाकर जब मुझ से लिपटता हैं
सच कहू तेरा ये अंदाज़ न जाने क्यों मुझे बहुत पसंद सा हैं
कि शिकायत बादलो से
बादलो ने अब मेरे घर से गुज़रना छोड़ सा दिया
उनका मेरी छत पर टहलना कई दिनों से बंद सा हैं
बंद रखता हूँ मैं भी आजकल अपनी हथेली
जब से किसी ने कहा मेरी किस्मत में तेरा होना थोड़ा कम सा हैं
नज़र में अब किसी से किसी को देखता नही
(मैं अपनी नज़र में अब किसी और को नही देखता )
कि नज़र में अब किसी से ज्यादा मिलाता नही
मेरी नज़र में तू बसी रहती हैं
और तू नज़रे मिलाये किसी से
ये पसंद मुझे कुछ कम सा हैं
तू रहे मेरी और मैं करता जाऊ तुझे बेइंतेहा मोहब्बत
ये मोहब्बत भरा ख्याल मेरी नम आंखों में बस बंद सा हैं
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