कभी मुझको मनाओ तुम मैं तुम से
तो मैं तुमसे अगर मैं रूठ
कभी पलकों पर आंसुओ को रुकते देखा
कभी आंसुओ से पलकों को सजते देखा
पर कभी होता हैं ऐसा जैसा कभी
कभी होता वैसा ही जैसा होता ही
मैं सोचता नही अब चाँद
चाँद दूर रहता हैं कुछ कहता नही
नही मैं सोचता परियो की बात
वो चाँद पलोकी मुलाकात
तू सोच में क्यों चली आती हैं
इसीलिए रूठ जात हु मैं किसी से मैं
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