पलकों पे आंसुओ को सजाया न जा सका
और उसको भी अपने दिल का हाल बताया न जा सका
ज़ख्मो से चूर चूर था ये दिल मेरा
पर कोई ज़ख्म उसको दिखाया न जा सका
जब तेरी याद आई तो लाख की मैंने कोशिश की तुझे याद न करू
(क्यों याद करू मैं उसे क्यों याद करू)
जब तेरी याद आई तो लाख की मैंने कोशिश की तुझे याद न करू
अपने मोबाइल फ़ोन से तुझे कोई कॉल न करू
न भेजी मैं कोई ख़त न लिखू कोई messege
पर दिल को उस पल समझाया न जा सका
आंखों मे आंसुओ को कई देर तक तो रोका
पर ज्यादा देर तक मैं थाम न सका
कुछ लोग जिंदगी मे ऐसे आए
कि एक पल के लिए भी उन्हें भुलाया न जा सका
बस इस ख्याल से कि उनको दुःख न हो
हमसे हाल ऐ गम सुनाया न जा सका
मैं ज़रूर मुस्कुरा रहा था उनके सामने
पर चेहरेका बदलता रंग भी उनसे छुपाया न जा सका
(यही होता हैं प्यार मे , आप लाख छुपाना चाहे अपनी परेशानिया सामने वाले को पता लग ही जाता हैं )
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