Tuesday, October 14, 2008

9th october opening poem

खोया हैं जिंदगी में और भी बहुत कुछ
हम तुझे खोकर भी जी लेंगे
बहुत बहाए हैं हमने आंसू
तेरे गम में भी जी लेंगे
तनहा थे हम पहले भी
हम अब भी तनहा हैं
हो सके तो याद न करना हमे
हम तेरी यादो के सहारे भी जी लेंगे
तू हमसफ़र नही तो क्या
(कभी कभी मोहब्बत मिल नही पाती )
कितू हमसफ़र नही तो क्या
तेरी खुबसूरत बातें ही सही
उन्हें अपना हमसफ़र बना कर बस जी लेंगे
तू सपना ही सही
(नही उसका नाम सपना वपना नही हैं )
कि तू एक सपना ही सही
जो एक दिन ज़रूर पुरा होगा
इस इरादे को तेरा समझ कर
तेरे इस इरादे के संग बस हम जी लेंगे
गलती मेरी बस इतनी कि चाहा हैं तुझे
और जब तक जीते रहेंगे
ताउम्र ये गलती करते रहेंगे
रहेंगे तो तेरे साथ
वरना जैसे तैसे बस जी लेंगे

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