Tuesday, October 28, 2008

25th october opening poem

तेरे दीदार की क्या ख़ाक तमन्ना होगी
जिन्दगी भर तेरी तस्वीर से बातें की

हमने तन्हाई में तन्हाई से बातें की
अपनी सोयी तकदीर से बातें की
(बहुत बातें करते हैं हम रेडियो वाले )
खामोश हम भी रहते हैं कभी कभी
माना नही हम रांझा मगर हमने
हीर की हर बात से बातें की
रंग का रंग ज़माने ने बहुत देखा हैं
हमने तेरी हर बात से बातें की
पता नही किस मुहूर्त में दिन निकलता हैं
पता नही किस मोहरत में शाम होती हैं
जब तेरी याद आए तो न जाने
किस किस से बात होती हैं
हमने उस दिन उस बीती शाम से बातें की
दिल टुटा हो जिसका वो देर में सम्हलता हैं
हमने टूटे दिल वालो से सिर्फ़ तेरी ही बातें की

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