Monday, October 6, 2008

30th september closing poem - on jodhpur stampede

जो भरा नही भावो से बहती

जिसमे रसधार नही

वो दिल नही पत्थर हैं

जिसमे स्वदेश का प्यार नही

जयभारत कहने से देश बड़ा बनेगा नही

सोच बदलो उन आतंकवादियों की

सच ये पैसा सब कुछ पर भगवान् नही

जान से ज्यादा किसी की कुछ भी नही

और उन लोगो को किसी की जान का कुछ भी ख्याल नही

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