कैसे इस घर की देखभाल करे
यहाँ रोज़ एक चीज़ टूट जाती हैं
मैं अब भी खिड़की पर हर शाम खड़ा होता हूँ
उम्मीद तेरे आने की फ़िर क्यों रूठ जाती हैं
मैंने अब घर लौटते पंछियों से बात करना छोड़ दिया
फ़िर भी क्यों उनकी खामोशी मेरा ध्यान तोड़ जाती हैं
फूल मेरे आँगन में अब खिलते नही
उनके खिलने की कोई वजह मुझे नज़र नही आती
और वो तितलिया वो अब मेरे मोहल्ले का पता तक भूल गई
इसीलिए शायद उनके पारो में अब तेरी खुशबु नही आती
चलो शायद यही मोहब्बत होती हैं जहा वजह न हो किसी के आने की
फ़िर भी हर बार एक वजह नज़र आती हैं
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