वो चांदनी का बदन खुशबुओ का साया हैं
बहुत अजीज हैं वो मगर हो गया वो पराया
उतर भी आओ कभी आसमा के रास्ते से
तुम्हे खुदा ने हमारे लिए बनाया
महक रही हैं ज़मी चांदनी के फूलो से
खुदा किसी की मोहब्बत पर मुस्कुराया
पर अब किसी की मोहब्बत का ऐतबार नही
ज़माने ने हमे बहुत सताया
तमाम उम्र मेरा दम भी उसी धुप में हारा
वो इक चिराग था जिसे मैंने बुझाया
बहुत मिन्नतों के बाद मिलने आया तेरा साया
मैंने लाख पूछा पर तेरा पता ना बताया
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