Tuesday, October 28, 2008

28th october opening poem ------------- HAPPY DEEPAWALI

वो चांदनी का बदन खुशबुओ का साया हैं
बहुत अजीज हैं वो मगर हो गया वो पराया
उतर भी आओ कभी आसमा के रास्ते से
तुम्हे खुदा ने हमारे लिए बनाया
महक रही हैं ज़मी चांदनी के फूलो से
खुदा किसी की मोहब्बत पर मुस्कुराया
पर अब किसी की मोहब्बत का ऐतबार नही
ज़माने ने हमे बहुत सताया
तमाम उम्र मेरा दम भी उसी धुप में हारा
वो इक चिराग था जिसे मैंने बुझाया
बहुत मिन्नतों के बाद मिलने आया तेरा साया
मैंने लाख पूछा पर तेरा पता ना बताया

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