कुछ तुमको याद नही
कुछ हम भूल गए शायद
मगर फिर भी उन बीती यादो को
याद करना सुहाना लगता हैं
मिले थे कभी जिन गलियों में हम
उन राहो पर जाना मुश्किल बहुत मुश्किल लगता हैं
फ़िर भी न जाने क्यों उन राहो को पीछे से
बार बार पलट कर देखना अच्छा लगता हैं
तुम शायद खुश अपनी दुनिया में
मैं अपने काम में खुश रहने की कोशिश करता हूँ
ख़त वत तो लिखना मुझे आता नही
इसीलिए अपने मोबाइल पर messege लिखता हूँ
आलम तो ये हैं नींद को भी मैं अब रिश्वत देता हूँ
कि साथ तेरे उन सपनो में महीने में कम से कम एक बार तो रह ले
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