मैं एक बार रो लू तुझसे लिपट के
कि रोज़ मैं रोना नही
तू मुझसे दूर रहकर भी मेरी रूह मे
मैं सचमुच तुझे इक पल को खोना नही चाहता
तुझसे जुदा रहकर जिंदा रहू कभी
ख्वाबो मे एक पल भी नींद ऐसी मैं सोना नही चाहता
मेरी आंखों की नमी कभी तेरी पलकों को छुए
मैं गुनेहगार कभी ऐसा होना नही चाहता
तू चाँदनी हैं
(उसका नाम चाँदनी नही हैं )
कि तू चाँदनी हैं मेरी काली रातो की
तुझे तो मैं धुप मे भी खोना नही चाहता
मौसम चाहे कोई सा भी रहे दिल मे
मैं तेरी यादो के मौसम मे तुझसे दूर होना नही चाहता
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